चारधाम के पंडा पुरोहित तो पीएम मोदी का भी विरोध करने की कर रहे तैयारी, लेकिन इस मंदिर के पुरोहितो ने देवस्थानम बोर्ड का किया स्वागत देखिए वीडियो….

देहरादून : जहां एक और चारों धामों के तीर्थ पुरोहित देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे हैं तो वही छोटे छोटे मंदिरों के पंडा पुरोहित देवस्थानम बोर्ड का स्वागत करते दिखाई दे रहे हैं त्रिजुगीनारायण के मंदिर से जुड़े पुरोहितों का कहना है कि देवस्थानम बोर्ड गठित होने से उनके हक हकूक ओं को कोई नुकसान नहीं हुआ है उनके अनुसार सभी को अपने हक को पता है और उसका कोई नुकसान बोर्ड गठन होने से नहीं हुआ है उनके अनुसार केदारनाथ के पंडा पुरोहितों ने गलतियां की है वह गर्भ ग्रह में चढ़ाया हुआ पैसा अपने साथ ले जाते हैं जबकि 20 सालों से मंदिर समिति उन्हें समझा रही है इसलिए उन्हें परेशानी हो रही है देवस्थानम बोर्ड के गठन होने से उनके अनुसार 20 सालों से जो वह काम कर रहे हैं उनका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा।

वही देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थपुरोहितों का गुस्सा कम होता नजर नहीं आ रहा है। चारधामों में तीर्थपुरोहित लगातार विरोध कर रहे हैं। लेकिन सोमवार को जिस तरह के हालात केदारनाथ में पैदा हुए उससे साफ है कि तीर्थ पुरोहितों ने आंदोलन को ज्यादा आक्रामक बना दिया है। तीर्थपुरोहितों का कहना है कि उनकी एकमात्र मांग देवस्थानम बोर्ड भंग करने की है।

ऐसा नहीं होता है तो आर-पार की लड़ाई इसी तरह लड़ी जाएगी। देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर तीर्थ-पुरोहितों व हक-हकूकधारियों ने तीन नवंबर को केदारनाथ कूच करने का ऐलान किया है।

केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुकला ने बताया कि तीर्थपुरोहित अब हर कदम उठाने को मजबूर हैं। केदारनाथ में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत का विरोध भी इसी की कड़ी है।

त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल में ही देवस्थानम बोर्ड बना और उन्होंने भी सरकारात्मक कार्रवाई का भरोसा दिया था किंतु बाद में उन्हें हटा दिया गया। इसके बाद वर्तमान सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी 30 अक्तूबर तक सकारात्मक कार्रवाई का भरोसा दिया था किंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई।

आचार्य संतोष त्रिवेदी ने बताया कि अब बोर्ड भंग करने के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। हमारा विरोध जारी रहेगा। प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान भी वह विरोध जारी रखेंगे। राजकिशोर तिवारी, रमाकांत शर्मा, कुबेरनाथ पोस्ती आदि ने कहा कि जब तक देवस्थानम बोर्ड भंग नहीं होता तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। इसके लिए केदारनाथ में इसी तरह के कार्यक्रम होते रहेंगे।

वहीं दूसरी ओर, गंगोत्री धाम में भी तीर्थ-पुरोहितों का गुस्सा जारी है। उत्तराखंड सरकार की ओर से देवस्थानम बोर्ड भंग करने को लेकर कोई सकारात्मक कार्यवाही न करने पर गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। तीर्थ पुरोहितों ने सोमवार को संपूर्ण गंगोत्री धाम बंद रख विरोध दर्ज कराया। केदारनाथ धाम के दर्शनों को गए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को सोमवार को केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा।

तीर्थ-पुरोहितों ने पूजा-पाठ करने से भी मना कर दिया। देश-विदेश से गंगोत्री धाम में दर्शन को पहुंचे तीथ-यात्रियों को फजीहत भी झेलनी पड़ी। आपको बता दें कि रविवार को गंगोत्री धाम में श्री पांच मंदिर गंगोत्री समिति, तीर्थ पुरोहितों, हकहकूक धारियों तथा स्थानीय व्यापारियों की एक बैठक संपंन हुई थी। जिसमें सभी तीर्थ पुरोहितों, व्यापारियों एवं हकहकूक धारियों ने देवस्थानम बोर्ड भंग न होने पर नाराजगी व्यक्त की। तीर्थ पुरोहितों ने कहा था कि प्रदेश सरकार की ओर से गत 11 सितंबर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ हुई वार्ता में 30 अक्टूबर तक देवस्थानम बोर्ड को भंग किए जाने का निर्णय लिया जाने की बात हुई थी।

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