माने तो त्रिवेंद्र सिंह रावत का जाने का कारण एक फैसला ले डूबा, जाने कारण।

देहरादून। त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद अब उत्तराखंड में नए मुखिया को लेकर कयास शुरू हो गए है।

बताया जा रहा है कि 11 फरवरी को नया मुखिया पद और गोपनीयता की शपथ लेगा।

इन सब के बीच अब सवाल यह भी उठाना शुरू हो गया है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत का जाना क्या यकायक हुआ घटनाक्रम है या फिर पहले से ही की जा साजिश का परिणाम है।

राजनीतिक जानकारों की माने तो त्रिवेंद्र सिंह रावत का जाना गैरसैण को कमिश्नरी बनाये जाने का फैसला ले डूबा।

दरअसल बजट सत्र में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चार जिलों की कमिश्नरी गैरसैण की घोषणा की थी।

माना जा रहा था कि कुमाऊँ के लगभग सभी विधायक सीएम के इस फैसले से नाराज थे।

बताया तो यंहा तक जा रहा है कि विधायको की एक बड़ी लॉबी ने बजट सत्र में ही सरकार गिराने तक की धमकी पार्टी आला कमान को दे दी थी।

दरअसल गैरसैण कमिश्नरी अल्मोड़ा को जोड़ा जाना नाराजगी की मुख्य वजह बताई जा रही है।

बहरहाल वजह कुछ भी हो लेकिन उत्तराखंड के 9वे मुख्यमंत्री अपने 4 साल पूरे करने से 9 दयन पहले ही चलता कर दिए गए।

त्रिवेंद्र सिंह रावत का दर्द उनके बयान में भी झलकता है दिखाई दिया।

मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए जब उनसे पूछा गया कि उनसे यकायक इस्तीफा क्यों लिया गया उसपर उन्होंने दिल्ली से पूछे जाने की बात कह बात टाल दी।

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपना इस्तीफा देने से पहले मीडिया से अपनी बात कहते हुए कहा कि उन्होंने सोचा भी नही था कि वे इटने ऊँचे पद तक पहुंचेंगे।

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