*सर्दियों में फूल गोभी खाना कितना स्वास्थ्यवर्धक है ये जाने *

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पूरे विश्व में सामान्यतः शीत ऋतु में मुख्य रूप से गोभी खाई जाती है, जो अनेक गुणों से भरपूर है। गोभी को कच्चा भी खाया जा सकता है।

 

फूलगोभी खाने में ठंडी और तर होती है।

फूलगोभी में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन , फॉस्फोरस, लौह तत्व, पोटैशियम, गंधक, नियासीन और विटामिन ‘सी’ आदि तत्व अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।

गोभी में गंधक एवं क्लोरीन घटकों की मात्रा भरपूर होती है, जिसके कारण यह शरीर की गंदगी साफ करने का काम करती है।
फूलगोभी ना सिर्फ खाने में बल्कि तिल को साफ करने में भी काफी कारगर होती है। घर में इसका रस तैयार करें और रोज तिल वाली जगह पर लगाए। इससे कुछ ही दिनों में पुरानी त्वचा धीरे धीरे साफ होने लगेगी और तिल गायब हो जाएगा।

फूलगोभी में गंधक भरपूर मिलता है। गंधक खुजली, कुष्ठ (कोढ़) आदि चर्म (त्वचा) रोगों में हितकारी होती है। फूलगोभी खून को साफ करती है।

फूलगोभी में “सलफोराफीन” रसायन पाया जाता है जो सेहत के लिए, ख़ासकर दिल के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद होता है।

गोभी में कुछ ऐसे तत्व एवं घटक हैं, जो मानव में रोग प्रतिकार शक्ति को बढ़ाते हैं एवं समय से पहले आने वाली वृद्धावस्था को रोकते हैं।

गोभी में ’’ टारट्रोनिक ‘‘ नामक एसिड होता है, जो चरबी, शर्करा एवं अन्य पदार्थों को इकट्ठा होने से रोकता है, जिससे शरीर का आकार बना रहता है।

कब्ज़ में रात को गोभी का रस पीने से लाभ होता है।

गोभी में क्षारीय तत्त्व होते हैं। जिससे क्षय रोगियों को भी लाभ होता है।

गोभी खाते रहने से चर्म रोग, गैस, नाखून और बालों के रोग नष्ट होते हैं।

कच्ची गोभी, पकी गोभी से ज्यादा सुपाच्य होती है।

गोभी स्नायु मजबूत करती है।

गोभी में गंधक एवं क्लोरीन आंतों के मार्ग साफ करने में उपयोगी हैं, परंतु यह तब ही संभव है जब गोभी या इसके रस को कच्चा लिया जाए।

पेट अल्सर का रोगी सामान्य भोजन के बाद दिन में तीन बार तीन से छह औसतन जितना गोभी का रस पिएं या चार से पांच बार कच्ची गोभी खाएं तो पेट एवं अल्सर के रोग में फायदा हो सकता है।

सूजन, दाह, जख्म आदि दूर करने में भी गोभी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

चोट या जले जख्म पर गोभी के पत्तों को गरम पानी में धोकर उसके बाद उन्हें कपड़े में सुखाकर चोट पर लगाने से फायदा होता है।

गोभी में विटामिन ’सी‘ होता है, जो रक्त वाहिनियों को मजबूत करता है।

गोभी वृद्ध लोगों के लिए भी फायदेमंद है।

गोभी का रस पीते रहने से आँखों की कमजोरी और पीलिया में लाभ होता है।

इसके अत्यधिक प्रयोग से वायु बन सकती है। इससे बचने के लिये इसे बराबर मात्रा में गाजर के साथ खाना चाहिये।

गोभी का रस पीते रहने से जोड़ों और हड्डयों का दर्द, अपच (भोजन का न पचना), आंखों की कमजोरी और पीलिया आदि रोगों में लाभ मिलता है।

रक्त (खून) की उल्टी : फूलगोभी की सब्जी खाने से या इसे कच्ची ही खाने से खून की उल्टी होना बंद हो जाती है। टी.बी. (क्षय) के रोगी के लिए भी यह बहुत ही हितकारी है।

 

फूलगोभी खाने से खूनी बवासीर और साधारण (बादी) बवासीर ठीक हो जाती है।

फूलगोभी की सब्जी का सेवन करने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है।

सुबह खाली पेट एक तिहाई कप गोभी का रस रोजाना पीने से कोलाइटिस, कैंसर और कब्ज तथा जख्म आदि रोगों में लाभ होता है।

रात को सोते समय आधा गिलास गोभी का रस पीने से कब्ज के रोग में लाभ होता है।

गोभी में क्षारीय तत्व होते हैं। गोभी में पाया जाने वाला सल्फर और क्लोरीन का मिश्रण म्युकस, मेमरिन तथा आंतों की सफाई करता है।

आदिवासियों के अनुसार इसके पत्तों को कुचलकर रस तैयार किया जाए और कुल्ला किया जाए तो मसूढ़ों से खून का निकलना बंद हो जाता है। वैसे कच्ची फूल गोभी को चबाने से मसूडों की सूजन भी उतर जाती है

पत्तों को कुचलकर तैयार किया रस प्रतिदिन पीने से गठिया रोग के निदान में भी लाभकारी होता है। माना जाता है कि कम से कम तीन माह तक अक्सर इस रस का सेवन करते रहने से हर तरह के दर्द की छुट्टी हो जाती है।

कच्ची फूलगोभी को साफ धोकर चबाने से खून साफ होता है और अनेक चर्मरोगों में आराम मिलता है। लौह तत्वों और प्रोटीन्स के पाए जाने के कारण शारीरिक शक्ति को प्रबल बनाने में भी इसका योगदान होता है।

फूल गोभी और गाजर का रस समान मात्रा में तैयार कर इसका एक गिलास प्रतिदिन दिन में दो बार देने से पीलिया ग्रस्त रोगी को फायदा होता है।

*सावधानी :-*
फ्रिज में रखी गयी फूल गोभी का कभी भी सेवन न करें। यह कब्ज और पेट गैस की समस्या में इजाफा करती है।

फूल गोभी की फसल पर कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है। इसलिए उपयोग में लेने से पहले फूल गोभी को साफ पानी से अच्छी तरह धो लें।

By admin

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