उत्तराखंड में आज फिर बॉबी पवार समेत साथ युवाओं की जमानत पर सुनवाई टली, जानिए वजह……

देहरादून: पत्थरबाजी और उपद्रव के आरोपी बॉबी पंवार समेत सात युवाओं की जमानत पर सुनवाई मंगलवार को फिर टल गई। अभियोजन ने पत्थरबाजी में घायल होने वाले पुलिसकर्मियों की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने के लिए समय मांगा था। सीजेएम लक्ष्मण सिंह की कोर्ट ने अभियोजन को एक दिन का वक्त दिया है। अब मामले की सुनवाई बुधवार को होगी।

बता दें कि सोमवार को पुलिस कोर्ट में केस डायरी लेकर नहीं पहुंची थी। इसके लिए पांच दिन का समय मांगा था। लेकिन, कोर्ट ने सिर्फ एक दिन की मोहलत देते हुए विवेचक को केस डायरी के साथ आज मंगलवार को उपस्थित होने के निर्देश दिए थे।

बॉबी समेत 13 आरोपी युवाओं की जमानत के लिए 11 फरवरी को सीजेएम कोर्ट में अर्जी दी गई थी। परीक्षा को आधार बनाकर छह युवाओं की जमानत मंजूर हो गई थी। लेकिन, इन युवाओं ने बेल बॉन्ड नहीं भरा और सभी की जमानत पर अड़ गए। कोर्ट ने बॉबी समेत सात युवाओं की जमानत पर सुनवाई के लिए सोमवार की तिथि मुकर्रर की थी। दोपहर करीब 12 बजे एसीजेएम प्रथम की कोर्ट में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल, सचिव अनिल शर्मा, अधिवक्ता रॉबिन त्यागी और शिवा वर्मा ने आरोपियों की ओर से बहस की।

अभियोजन की ओर से ज्वाइंट डायरेक्टर लॉ गिरीश पंचोली, जिला शासकीय अधिवक्ता आदि कोर्ट में आए और जमानत का विरोध किया। बचाव पक्ष ने सातों की जमानत के लिए तर्क दिया गया कि इनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। सभी को पुलिस ने झूठा फंसाया गया है। जानलेवा हमले की धारा निराधार थी। ऐसे में उसे भी हटा दिया गया है। वहीं, अभियोजन ने सुनवाई पांच दिन के लिए टालने की प्रार्थना की। कहा गया कि विवेचना अधिकारी और केस डायरी नहीं है। ऐसे में विस्तृत रिपोर्ट के लिए पांच दिन का समय चाहिए।

सात दिन में निस्तारित होनी है जमानत अर्जी
बचाव पक्ष ने हाईकोर्ट के सर्कुलर का आधार भी रखा। हाईकोर्ट ने किसी भी जमानत प्रार्थनापत्र को सात दिन के भीतर निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं। बचाव पक्ष का तर्क था कि अभियोजन जानबूझकर आरोपियों की जमानत को टालना चाहता है। यही कारण है कि केस डायरी और विवेचना अधिकारी को नहीं बुलाया गया।

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