आज शुभ दीपावली : जानिए क्या है पूजन विधि, मुहुर्त, मंत्र, दुर्लभ संयोग और महत्व…

देहरादून : शुभ दीपावली – जानिए पूजन विधि, मुहुर्त, मंत्र, दुर्लभ संयोग और महत्व

दीपावली पर्व

शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा |

शत्रुबुद्धि-विनाशाय दीपज्योती नमोस्तुते !!

आज दीवाली है सभी सनातन धर्म प्रेमियों को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। इस वर्ष 4 नवंबर 2021 गुरुवार को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा।प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष दीपावली पर कुछ दुर्लभ संयोग बन रहे है।

1–इस वर्ष दीपावली पर गुरु पुष्यामृत महायोग का निर्माण भी हो रहा है जो कि अत्यंत शुभ माना जाता है।

2– दीपावली पर चार ग्रह तुला राशि में विराजमान रहेंगे सूर्य, मंगल, बुध और चंद्रमा। तुला राशि में चार ग्रहों के रहने से शुभ फल की प्राप्ति होगी।

शास्त्रानुसार सूर्य देव ग्रहों के राजा माने जाते हैं, मंगल को सेनापति, बुध को ग्रहों का राजकुमार और चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। अतः इस वर्ष दीपावली देश,सेना, राजनेता और घर-परिवार सभी के लिए अत्यंत शुभ फल प्रदान करने वाली है।

आध्यात्मिक रूप से दीपावली पर्व अन्धकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है।

धार्मिक मान्यतानुसार दीपावली पर्व मनाने का मुख्य कारण यह है कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को भगवान श्री राम चौदह वर्ष के वनवास को पूर्ण कर पुनः अपनी नगरी अयोध्या लौटे थे।अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा श्री राम के स्वागत हेतु अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक माह की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दियों की रोशनी से जगमगा उठी। तभी से प्रतिवर्ष (त्रेता युग) हिंदू धर्म में दीपावली पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि 04 नवंबर को सुबह 06 बजकर 06 मिनट से प्रारंभ होगी व रात्रि ( 05 नवंबर सुबह को) 02 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। दिवाली पर

लक्ष्मी पूजन मुहूर्त शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक है।

दीप संख्या व स्थान

दीपावली पर्व पर 13 दीपक जलाना शुभ माना जाता है इसके अतिरिक्त एक दीपक गाय के घी का जिसकी चार बत्तियां हो मंदिर में पूर्ण रात्रि(अखण्ड ज्योति) जलना शुभ माना जाता है।

प्रथम दीपक मंदिर में दूसरा दीपक रसोईघर में वह तीसरा दीपक तुलसी पर प्रज्वलित करें। बाकी दीपक पूरे घर में जलाएं। एक दीपक पितरों को समर्पित करें, दो मुख्य द्वार पर ,नल के समीप रखें दीपक,बेल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने महादेव प्रसन्न होते हैं।

पूजा विधि

दीपावली पर्व पर श्री गणेश व देवी लक्ष्मी जी की पूजा का विधान है। दीपावली पर्व पर सफाई का विशेष ध्यान रखें नित्य कर्म से निवृत्त होकर पूरे घर को पूजा स्थल को स्वच्छ करें। दीप प्रज्ज्वलित करें। चौकी पर लाल रंग का आसन बिछा कर गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। इनके साथ भगवान कुबेर, मां सरस्वती और कलश की स्थापना करें।

ऊं अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।

य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।

मंत्र का जाप करते हुए तीन बार गंगा जल से छिड़क कर पूजा स्थल को शुद्ध करना करें। पूजन का संकल्प लेते हुए भगवान गणेश और कलश की पूजा करें। हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें। देवी लक्ष्मी को आमंत्रित करें। दोनों वस्त्र रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प पंचामृत, पंच मेवा, पंच मिठाई , कमल पुष्प, खीले, बतासे अर्पित करें। घी की अखण्ड ज्योति प्रातः काल में ही प्रज्वलित करें। देवी लक्ष्मी के आठों रूपों का इन मंत्रों के साथ आवाह्न करें–

पूर्व दिशा से प्रारंभ कर घड़ी की सुई की दिशा के क्रम से आठों दिशाओं में पूजन करें –

पूर्व दिशा में :- ‘ॐ आद्यलक्ष्म्यै नमः’

आग्नेय कोण में :- ‘ॐ विद्यालक्ष्म्यै नमः’

दक्षिण दिशा में :- ‘ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नमः’

नैऋत्य कोण में :- ‘ॐ अमृतलक्ष्म्यै नमः’

पश्चिम दिशा में :- ‘ॐ कामलक्ष्म्यै नमः’

वायव्य कोण में :- ‘ॐ सत्यलक्ष्म्यै नमः’

उत्तर दिशा में :- ‘ॐ भोगलक्ष्म्यै नमः’

ईशान कोण में :- ‘ॐ योगलक्ष्म्यै नमः’।।

घर में सोना ,चांदी, आभूषण, द्रव्य आदि देवी लक्ष्मी के समक्ष अर्पित करें। इन मंत्रों से देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करें –

ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।

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