क्या तो हरीश रावत नही लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, पार्टी को सत्ता में लाने में लगाएंगे जोर, जानिए….
देहरादून : प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लगता है विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि अगर वह चुनाव लड़े तो पार्टी के अंदर के लोग और बीजेपी पूरी ताकत हरीश रावत को हराने में लग जाएगी और हालात फिर 2017 वाले हो जाएंगे हरीश रावत भी अन्य सीटों पर ध्यान नहीं दे पाएंगे और अभिमन्यु की तरह विपक्षियों के चक्रव्यूह में फस जाएंगे ऐसे में संभावना कम ही है
यह हरीश रावत इस बार यह रिस्क ले हालांकि हरीश रावत खुद कहते है कि मै चुनाव लड़ने का इच्छुक नहीं हूं। मैं नहीं चाहता कि मेरी दावेदारी से कोई विवाद हो। मैं केवल और केवल तभी चुनाव लड़ूंगा जब हाईकमान मुझे आदेश देगा। विधानसभा चुनाव और टिकट वितरण को लेकर कांग्रेस में अंदरूनी तौर पर जारी खींचतान के बीच रावत से मन की बात पूछी।
बकौल हरीश रावत, मेरा चुनाव लड़ना, न लड़ना सब पार्टी तय करेगी। व्यक्तिगत रूप से मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से पार्टी में कहीं विवाद दिखाई दे। मेरी मजबूरी है कि मेरा नाम, सबसे चर्चित नाम है लेकिन इसमें मेरा कोई दोष नहीं है। मैं तो वर्ष 2002, 2007 और 2012 में भी चुनाव नहीं लड़ा। पर इस बार मैं वर्ष 2002 वाले मूड में हूं। तब भी इतिहास बना था और इस बार भी इतिहास रचने का मौका है।
रावत समर्थकों का भी मानना है कि रावत का चुनाव लड़ने से ज्यादा बेहतर चुनाव लड़ाना होगा। रावत चुनाव में जिस भी सीट पर खड़े होंगे, भाजपा और उसकी सभी शक्तियां रावत को उसी क्षेत्र में उलझाए रखने को पूरी ताकत झोंक सकती हैं।
चूंकि रावत कांग्रेस का मुख्य चेहरा है, इसलिए उनका दूसरी सीटों पर ठीक से उपयोग न हो पाएगा। चुनाव के बाद सरकार बनने की स्थिति आने पर रावत अपने लिए बाद में भी सीट खाली करवा सकते हैं। रावत के करीबी सूत्र भी इस फार्मूले की पुष्टि कर रहे हैं। हरीश रावत ने कहा कि इस वक्त मेरा लक्ष्य मुख्यमंत्री बनना नहीं बल्कि कांग्रेस को सरकार में लाना है। मेरी व्यक्तिगत आकांक्षा को पार्टी की आकांक्षा में बाधक नहीं बनने दिया जाएगा। यदि मुझे टिकट के लिए कहा भी जाएगा तो पहले तो मैं यही कहूंगा कि किसी और अवसर दे दिया जाए।