आज महाकुंभ नगरी हरिद्वार में नवनिर्मित भगवान परशुराम चौक का स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी ने किया लोकार्पण।

हरिद्वार। सांस्कृतिक गौरव की स्मृतियाँ समेटे हुए भारतीय नववर्ष (संवत्सर) युगाब्द 5123, विक्रम संवत् 2078 की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के अवसर पर पंचपुरी हरिद्वार के समस्त ब्राह्मण समाज द्वारा सामूहिक प्रयत्न से तीर्थ नगरी हरिद्वार में पुराना रानीपुर मोड पर भगवान परशुराम मार्ग पर चिरंजीवी भगवान परशुराम जी के नाम से निर्मित चौक का लोकार्पण एवं नव संवत् पूजन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी के उत्तराधिकारी शिष्य स्वामी अविमुक्तेस्वरानन्द सरस्वती जी द्वारा किया गया।

इस मौके पर वैदिक ब्राह्मणों द्वारा नवसंवत् का स्वागत वैदिक मंत्रों, मंगल शंख ध्वनि से विश्वमंगल की कामना से किया गया। स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द जी ने कहा कि सर्वस्पर्शी एवं सर्वग्राह्य भारतीय संस्कृति के दृष्टा मनीषियों और प्राचीन भारतीय खगोल-शास्त्रियों के सूक्ष्म चिन्तन-मनन के आधार पर की गई कालगणना से अपना यह नव-संवत्सर पूर्णत: वैज्ञानिक एवं प्रकृति-सम्मत होने के साथ ही हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान एवं सांस्कृतिक ऐतिहासिक धरोहर को पुष्ट करने का पुण्य दिवस भी है। ये भी माना जाता है कि इसी दिन से सतयुग की शुरुआत हुई थी। विक्रम संवत सबसे अधिक प्रासंगिक, सार्वभौमिक और वैज्ञानिक कैलेंडर है।

उन्होंने कहा कि आज यहां स्थापित फरसा को पूजित किया जा रहा है हमारे आराध्य के प्रतीक चिन्ह स्थापित होने से आने वाली पीढी प्रेरित होती है। उन्होंने सभी ब्राह्मण प्रतिनिधियों को इस कार्य हेतु शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ब्राह्मण समाज का हमेशा अग्रणी रहा है वह हमेशा समाज को सही दिशा प्रदान कर सबके कल्याण की सोचता है।

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