उत्तराखंड में वन विभाग के अधिकारी क्यों डर रहे इस जांच से , अब लेना पड़ा विजिलेंस जाँच का फैसला….

देहरादून : कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग में अवैध निर्माण और पातन मामले में मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी के बाद अब अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ) बीके गांगटे ने भी जांच करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक द्वारा उन्हें जांच अधिकारी नामित किए जाने को नियम विरुद्ध करार दिया है।प्रकरण की जांच वन्यजीव शाखा में तैनात किसी दक्ष अधिकारी से कराना सही।

गांगटे का कहना है कि वह वर्तमान में एपीसीसीएफ के पद पर कार्यरत हैं, जिसके नियंत्रक प्राधिकारी विभाग प्रमुख पीसीसीएफ हैं। ऐसे में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की ओर से उन्हें जांच अधिकारी नामित करना नियम विरुद्ध और विधिक रूप से अमान्य है। ऐसे में उनके द्वारा प्रकरण की जांच करना संभव नहीं है। साथ ही सुझाव दिया है कि प्रकरण की जांच वन्यजीव शाखा में तैनात किसी दक्ष अधिकारी से कराना श्रेयस्कर होगा।

आपको बता दें कि कालागढ़ टाइगर रिजर्व के बफर जोन पाखरो में टाइगर सफारी के लिए स्वीकृति से ज्यादा पेड़ों के कटान के साथ ही पाखरो से कालागढ़ तक अवैध निर्माण का मामला इन दिनों सुर्खियों में है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने अपनी स्थलीय जांच रिपोर्ट में इन शिकायतों को सही पाते हुए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की संस्तुति की है। यह प्रकरण दिल्ली हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है। जबकि नैनीताल हाईकोर्ट ने भी इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। सुनवाई जारी है।

इस मामले में अधिकारियों पर दोष का निर्धारण करने के लिए शासन के निर्देश पर विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) ने मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी को जांच सौंपी थी। इसके अलावा मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने भी एपीसीसीएफ बीके गांगटे को जांच सौंपने के आदेश जारी किए थे। दो दिन पहले मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी इस मामले में जांच से इनकार कर चुके हैं।

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