उत्तराखंड गजब का राज्य है, यहाँ सीएम तो छोड़ो राज्यपाल भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते….

देहरादून : उत्तराखंड में न तो सीएम टिक रहे हैं, न राज्यपाल। बुधवार को उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

उन्होंने उत्तराखंड की राज्यपाल के तौर पर 26 अगस्त को ही तीन साल का कार्यकाल पूरा किया था, लगा था कि शायद टिक जाएंगी, लेकिन कुछ महीनों पहले जैसे सीएम बदले, वैसे ही बुधवार को अचानक राज्यपाल ने भी अपना पद छोड़ दिया।

प्रदेश में ये पहली बार नहीं हुआ है। यहां की सियासत का मिजाज ही कुछ ऐसा है, कि टिकना मुश्किल हो जाता है। जिस तरह प्रदेश में नारायण दत्त तिवारी के अलावा कोई भी सीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है।

उसी तरह किसी राज्यपाल ने भी अब तक अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। पिछले 21 सालों में उत्तराखंड को सुरजीत बरनाला से लेकर बेनी रानी मौर्य तक सात गवर्नर मिले, लेकिन इनमें से एक भी राज्यपाल ने अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया।

राज्य में सबसे लंबे समय तक राज्यपाल रहने वालों में सिर्फ सुदर्शन अग्रवाल ही हैं, जो करीब चार साल तक राज्यपाल बने रहे। राज्य गठन के बाद सुरजीत सिंह बरनाला ने गर्वनर के तौर पर राज्य की बागडोर संभाली। वो नौ नवंबर 2000 से सात जनवरी 2003 तक उत्तराखंड के राज्यपाल रहे। उनके बाद आए सुदर्शन अग्रवाल जो कि 8 जनवरी 2003 से 28 अक्टूबर 2007 तक राज्य के गवर्नर रहे। उनके बाद बनवारी लाल जोशी को उत्तराखंड के गर्वनर की जिम्मेदारी मिली। वो 29 अक्टूबर 2007 से 5 अगस्त 2009 तक राज्य के गवर्नर रहे। उन्हें साल 2009 में मार्गरेट अल्वा ने रिप्लेस किया।

मार्गरेट अल्वा 6 अगस्त 2009 से 14 मई 2012 तक गर्वनर रहीं। 15 मई 2012 को अजीज कुरैशी को उत्तराखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। वो 08 जनवरी 2015 तक इस पद पर रहे। सत्ता परिवर्तन के बाद 8 जनवरी 2015 को केके पॉल ने उत्तराखंड के राज्यपाल के रूप में कुर्सी संभाली।

वो 25 अगस्त 2018 तक इस पद पर रहे। 26 अगस्त 2018 को बेबी रानी मौर्य ने उत्तराखंड के राज्यपाल के तौर पर शपथ ली। उन्होंने 3 साल का कार्यकाल पूरा किया, लेकिन दो साल का कार्यकाल बाकी होने के बावजूद बुधवार को उन्होंने इस्तीफा दे दिया। कयास लगाये जा रहे हैं कि बीजेपी उन्हें यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी जिम्मेदारी देने वाली है।

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