मंत्री धन सिंह रावत का ये बयान जमकर हो रहा वायरल, सामने बैठी महिलाए भी जमकर लगा रही ठहाके, असली मतलब समझिए…..

देहरादून : इन दिनों मंत्री धन सिंह रावत का एक बयान जमकर वायरल हो रहा है कांग्रेस आईटी सेल के साथ-साथ कई लोग सोशल मीडिया में मंत्री धन सिंह रावत के इस बयान को जमकर वायरल कर रहे हैं जिसमें मंत्री कह रहे हैं कि अब घास की भी दुकान खोली जाएगी मंत्री के इस बयान पर सामने बैठी महिलाएं भी जमकर हंस रही है साफ है इससे पहले मंत्री धनसिंह रावत का एक मौसम को लेकर और बारिश को एडजस्ट करने को लेकर एक बयान वायरल हो चुका है जिससे काफी फजीहत हो चुकी थी

हालांकि मंत्री के बयान को ध्यान से सुना जाए तो काफी हद तक मंत्री क्या कहना चाहते हैं समझ मे आ जाएगा ग्रामीण महिलाओं को आसान भाषा में मंत्री के द्वारा समझाया जा रहा है अब महिलाओं को यदि साइलेज कहा जाता तो वह समझ नहीं पाते इसलिए घास कहा है गाय को खिलाए जाने वाला चारा भी कह सकते हैं

क्या है घसियारी कल्याण योजना

घसियारी कल्याण योजना के तहत 7771 सहकारी केंद्रों पर कम दरों में पशुपालकों के लिए चारा बिक्री की व्यवस्था की जा रही है यह केंद्र तमाम गांव के संपर्क क्षेत्र में स्थित रहेंगे महिलाओं को अपने घरों के नजदीक ही इस चारे की उपलब्धता रहेगी साथ ही पशुओं के लिए यह चारा आसानी से उपलब्ध हो सकेगा प्रथम चरण में 4 पर्वतीय जिलों पौड़ी रुद्रप्रयाग अल्मोड़ा और चंपावत को शामिल किया गया है।

●योजना के तहत पशुपालकों को रियायती दरों पर पौष्टिक पशु चारा साइलेज के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा।

●योजना लागू होने से जहां एक और महिलाओं के सिर से घास का बोझ उतर जाएगा वही उनके समय और श्रम की भी बचत होगी।

●पशु आहार के 25 से 30 किलो के वेक्यूम पैक् बैग तैयार कर लिए गए हैं यह बैग सहकारी समितियों के माध्यम से रियायती दरों पर पशुपालकों को उपलब्ध कराए जाएंगे।

●चारे के लिए महिलाओं की जंगल पर निर्भरता को कम करना।

●महिलाओं की जंगली जानवरों और दुर्घटना से होने वाली शारीरिक क्षति का निवारण करना ।

●पशुओं को पौष्टिक एंव स्वस्थ्य आहार उपलब्ध कराना। ताकि पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार और दूध की पैदावार में वृद्धि हो।
फसल के अवशेषों को जलाने के कारण होने वाले पर्यावर्णीय दुष्परिणामों को कम करना।

●फसल के अवशेषों और फाॅरेज (forage) को वैज्ञानिक संरक्षण द्वारा चारे की कमी को दूर करना।

●वहीं इस योजना के तहत लगभग 2000 से अधिक कृषक परिवारों को उनकी 2000 एकड़ से अधिक भूमि पर मक्का की सामूहिक सहकारी खेती से जोड़ना।

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