सवाल ये है उत्तराखंड सरकार 33 साल से ठप्प उपक्रमों को आखिर क्यों ढो रही है ?

देहरादून : कभी कभी ऐसी बाते सामने आती है जो हजम नहीं हो पाती कैग की रिपोर्ट हाल में विधानसभा सत्र के दौरान सदन के पटल पर रखी गई तो कई सवालों को रिपोर्ट अपने अंदर समेटे हुए थी सबसे बड़ा सवाल तो ये खड़ा हुआ कि पिछले 33 सालों से ठप्प उपक्रमो को सरकार आखिरकार क्यों ढो रही है

जी हाँ प्रदेश सरकार के 30 राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में से आठ उपक्रम पिछले 33 साल से ठप पड़े हैं। ज्यादातर उपक्रमों की माली हालत ठीक नहीं है। यह खुलासा भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक की वित्तीय रिपोर्ट से हुआ है।

कैग ने खुलासा किया है कि 31 मार्च 2020  तक तीन निगमों सहित 30 राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम थे। 30 में से आठ में काम ठप है। अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय से चले आ रहे इन सार्वजनिक उपक्रमों को आठ से 33 वर्षों का समय हो गया है। इन आठ उपक्रमों में 23.88 करोड़ की निवेश पूंजी है। कैग का मानना है कि ऐसे सार्वजनिक उपक्रमों में निवेश राज्य की आर्थिक वृद्धि में योगदान नहीं करता है।

ठप सार्वजनिक उपक्रमों की सूची
यूपीएआई, ट्रांस केब लिमिटेड (केएमवीएन की सहायक), उत्तर प्रदेश डिजिटल लिमिटेड (केएमवीएनएल की सहायक), कुमट्रान लिमिटेड (उत्तर प्रदेश हिल इलेकट्रॉनिक्स कार्पोरेशन लिमिटेड की सहायक), उत्तर प्रदेश हिल क्वार्टज लिमिटेड (उत्तर प्रदेश हिल इलेक्ट्राकिक्स कार्पोरेशन की सहायक), गढ़वाल अनुसूचित जनजाति विकास निगम लि. (कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड की सहायक), गढ़वाल अनुसूचित जनजाति विकास निगम लि., कुमाऊं अनुसूचित जनजाति विकास निगम लि., ट्रांस केबल लि. और उत्तर प्रदेश डिजीटल लि. 2016-17 तक सक्रिय थे। इन्हें वर्ष 2018-19 के  लिए अकार्यत सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम की सूची में लाया गया।

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