उत्तराखंड में हरक के प्रतिष्ठानों मे छापेमारी, वन विभाग का जनरेटर विजिलेस ले गई ट्रेक्टर मे लादकर, क्या अब होगी कार्यवाई……
देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ हरक सिंह रावत की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं। हरक सिंह रावत से कार्बेट की पाखरो रेंज के मामले में विजिलेंस ने पूछताछ की है और उनके बेटे के प्रतिष्ठान पर छापेमारी की है।और हरक सिंह के कॉलेज से एक साइलेंट जनरेटर भी पुलिस ने उठाया है क्या ये वो ही सम्पत्ति है जिसको विजिलेंस ढूंढ रही थी डायरेक्टर विजिलेंस मुरुगेशन के अनुसार सरकारी सम्पत्ति का किसी प्राइवेट जगह पर लगा होना पता चला है बस उसी को ढूंढ़ते हुए वहा पहुंचे थे।
वही इस बाबत, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि जब उन्होंने यमुना कालोनी स्थित सरकारी आवास छोड़ा तो राज्य सम्पत्ति विभाग अपना सामान ले गया। लेकिन वन विभाग के अधिकारी इस जनरेटर को नहीं ले गए। हालांकि, इस जेनसेट की वापसी के लिए सम्बंधित विभाग को पत्र भी लिखा गया था।
आपको बता दें दो साल से यह जनरेटर पूर्व मंत्री हरक सिंह के बेटे के मेडिकल संस्थान में घरघरा रहा था। इसके अलावा पेट्रोल पंप का जेनसेट भी विजिलेंस की टीम अपने साथ ले गयी।
विश्वप्रसिद्ध जिम कार्बेट नेशनल पार्क की पाखरो रेंज में 215 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले की जांच अब पूरे कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता डाक्टर हरक सिंह रावत तक पहुंच गई है। बुधवार को हल्द्वानी विजिलेंस सेक्टर की टीम और देहरादून विजिलेंस टीम हरक सिंह रावत के बेटे के दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस कालेज में छापेमारी के लिए पहुंची। हरक सिंह रावत के देहरादून स्थित मीरावती फिलिंग स्टेशन नेपाली फार्म में भी विजलेंस टीम ने छापेमारी की।
साल 2019 में पाखरों रेंज में बिना वित्तीय स्वीकृति और अनुमति के निर्माण कार्य शुरू किया गया। इस रेंज में तत्कालीन वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट टाइगर सफारी का 106 हेक्टेयर में निर्माण किया जा रहा था। मामले में वकील और वन्य जीव संरक्षण करता गौरव बंसल ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसके साथ ही उन्होंने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी में भी इसकी शिकायत की थी।
इसके बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और एनजीटी की टीम में स्थलीय निरीक्षण किया था। जिसमें 215 करोड़ के घोटाले होने की बात सामने आई थी।
पिछले साल विजिलेंस सेक्टर हल्द्वानी ने इस मामले में मुकदमा दर्ज किया इसके बाद तत्कालीन रेंजर बृज बिहारी शर्मा को गिरफ्तार किया गया। 24 दिसंबर 2022 को डीएफओ किशन चंद को भी मामले में गिरफ्तार किया गया। हालांकि रेंजर ब्रिज बिहारी शर्मा की जमानत हो चुकी है।
इस मामले में निर्धारित अनुमति से ज्यादा रिजर्व फॉरेस्ट के हरे पेड़ कटवाने सरकारी धन का दुरुपयोग करने और भ्रष्टाचार में संकट होने के अधिकारियों पर आरोप थे।
रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 6093 पेड़ अतिरिक्त काटे गए। टाइगर सफारी के नाम पर खर्च हुआ पैसा दूसरे काम के लिए था। इसे कमीशन और अन्य लालच में ठेकेदारों को आवंटित कर दिया गया । गड़बड़ी करने वाले अधिकारी इस बात को लेकर भी आश्वस्त थे कि उन्हें जो पैसा बाद में मिलेगा उसे इस मद में जमा कर दिया जाएगा। जिन जगह सड़क भवन और अन्य निर्माण हुए वह कर सेंसेटिव जोन में आता है यहां किसी प्रकार का निर्माण नहीं हो सकता है। 163 पेड़ काटने के आदेश के खिलाफ 6200 पेड़ काट दिए गए
इस मामले में IFS अधिकारी राजीव भरतरी, जे एस सुहाग, राहुल पर भी गाज गिरी।
सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एंपावर्ड कमेटी ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया। पाखरु सफारी प्रोजेक्ट के लिए राष्ट्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से भी अनुमोदित नहीं कराया गया।
सुप्रीम कोर्ट के CEC कमेटी लंबे समय से इस मामले की जांच कर रही है 24 जनवरी 2023 को कमेटी के सदस्य सचिव अमरनाथ शेट्टी की ओर से सुप्रीम कोर्ट को सौंप गई रिपोर्ट में कहा गया है की टाइगर सफारी केवल अधिसूचित टाइगर रिजर्व के बाहर और बाघों के प्राकृतिक आवास के बाहर स्थापित की जा सकती है लेकिन इस मामले में इन बातों का ध्यान नहीं रखा गया पूर्व वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत पर आरोप है कि उन्होंने इस मामले में तत्कालीन डीएफओ किशन चंद के गलत कामों को बढ़ावा दिया इसलिए उनसे पूछताछ के साथ ही कार्रवाई की सिफारिश भी इस मामले में की गई।
इस मामले में उत्तराखंड विजिलेंस की टीम अब हरक सिंह रावत से भी जांच करने पहुंची हैं। हालाकि मामले में हरक सिंह रावत ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है।
इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि कोई भी नेता जब तक भाजपा में होता है तो दूध का धुला होता है। किसी भी तरह के आरोप हों लेकिन कोई जांच नहीं होती लेकिन कांग्रेस में आता है तो फिर जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके इस तरीके से मामलों की जांच के नाम पर एक पक्ष की कारवाई शुरू हो जाती है।
इस मामले में भाजपा का कहना है की जांच एजेंसियों पर किसी तरीके का सरकार का कोई प्रभाव नहीं है जांच एजेंसियां स्वतंत्र हैं और उसी तरह से जांच करती हैं मामले में अगर हरक सिंह रावत गलत नहीं है तो फिर कांग्रेस किस तरह के बयान क्यों दे रही है पूरी जांच हो जान देनी चाहिए।