हरिद्वार के 16 पुस्तकालयों के घोटाले की पड़ताल, ढूंढ़ने से भी नहीं मिली डेढ़ करोड़ की लाइब्रेरी…..

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार इन दिनों घोटालों की नगरी बनी हुई है. यहां हरिद्वार महाकुंभ 2021 में कोरोना जांच फर्जीवाड़े की चर्चाएं अभी कम भी नहीं हुई थी कि 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है. 2010 में हरिद्वार में बनी 16 लाइब्रेरी को लेकर हुए घोटाले का मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है मामला सुर्खियों में आने के बाद हमने हरिद्वार के पुस्तकालय घोटाले की पड़ताल की।

हरिद्वार में डेढ़ करोड़ की लागत से बनीं 16 लाइब्रेरी घोटाले के मामले में याचिकाकर्ता ने जांच सीबीआई से कराने को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल में अपील की है हमने हरिद्वार की इन लाइब्रेरी को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन वो कहीं मिली ही नहीं।

पड़ताल के लिए हम जटवारा पुल, सीवीआर कॉलोनी, पूर्वी नाथ नगर, राजीव नगर कॉलोनी जैसे इलाकों में पहुंचा. इन्हीं इलाकों में ये कथित पुस्तकालय बनाये गये थे. जब हम मौके पर पहुंचे तो हमें भी कहीं कोई लाइब्रेरी नहीं मिली। लाइब्रेरी के ज्यादातर स्थानों पर या तो मंदिर बने हुए हैं या फिर भवन।

जहां थोड़ी बहुत कहने को लाइब्रेरी मिली भी वहां भी एक आलमारी में दो-चार किताबें, पास पड़ी कुछ टूटी-फूटी कुर्सियां ही दिखाई दीं, जो कहीं से भी लाइब्रेरी नहीं कही जा सकती हैं. यही नहीं कहीं पर तो सिर्फ और सिर्फ प्लाट की बाउंड्री ही दिखाई दी. जिसके बाद इस घोटाले को लेकर सवाल उठने लाजमी है।

बता दें कि हरिद्वार में 2010 में विधायक निधि से बने पुस्तकालय के निर्माण में हुए घोटाले का मामला फिर से हाईकोर्ट पहुंच गया है जिससे ना केवल तत्काल डीएम, सीडीओ और ग्रामीण अभियंत्रण सर्विस के अधिशासी अभियंता की मुश्किलें बढ़ सकती हैं इसके साथ ही बीजेपी के विधायक और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की भी मुश्किलें बढ़नी लगभग तय हैं।

हरिद्वार में 2010 में शहर विधायक मदन कौशिक की विधायक निधि से 16 पुस्तकालयों का निर्माण किया गया था इनके निर्माण को लेकर उस समय भी विवाद हुआ था तब भी घोटाले की बात सामने आई थी जिसकी क्षतिपूर्ति जिला अधिकारी और अन्य अधिकारियों के वेतन से की गई थी पुस्तकालय निर्माण का यह मामला एक बार फिर तब सुर्खियों में आया जब याचिकाकर्ता द्वारा उक्त घोटाले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल में अपील की गई।

उक्त मामले में याचिकाकर्ता सचिन डबराल का कहना है कि जनता का पैसा जनता के लिए खर्च होना चाहिए. उन्होंने कहा पुस्तकालय का निर्माण ऐसे लोगों के लिए होना चाहिए था जो लोग पुस्तकालय में जाकर पठन-पाठन का कार्य कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जिसके चलते उनके द्वारा याचिका डाली गई थी. उन्होंने मांग की है कि हाईकोर्ट इस मामले की सीबीआई से जांच कराए और दोषियों से ब्याज के साथ पैसे की रिकवरी करे।

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