उत्तराखंड की राजनीति के लिए आज की बड़ी खबर ,प्रदेश का सियासी घटनाक्रम पहुँचा निर्णायक मोड़ पर ,आज सीएम तीरथ उठा सकते हैं बड़ा कदम….…

देहरादून : उत्तराखंड से आज की बड़ी ख़बर सीएम तीरथ सिंह रावत आज दे सकते है भारत निर्वाचन आयोग को अर्जी उत्तराखंड में गंगोत्री उपचुनाव को कराने को लेकर दे सकते है अर्जी, माना जा रहा है आज 10 बजे से 12 बजे के बीच दे सकते हैं अर्जी सीएम तीरथ करेंगे अपने चुनावो को लेकर अंतिम कोशिश , हालांकि सूत्र बताते हैं कि इसकी उम्मीद बेहद कम है कि भारत निर्वाचन आयोग की तरफ से इसको लेकर कोई पॉजिटिव रिस्पॉन्स आये माना जा रहा है भारत निर्वाचन आयोग इसे क्योंकि बीजेपी के मुख्यमंत्री का मामला है इसलिए सपेशल केस बताकर चुनाव नही करवा सकते और अगर ऐसा हुआ तो देश भर में कितनी फजीहत होगी ये सभी जानते हैं अभी क्योंकि कई राज्यों में उपचुनाव होना है और कोरोना के चलते भारत निर्वाचन आयोग चुनाव नहीं करवा रहा है

ऐसे में गंगोत्री विधानसभा में उपचुनाव करा देगा ऐसी संभावना नहीं के बराबर है वैसे भी गंगोत्री उपचुनाव का मामला 151A के तहत आता है जिसके चलते किसी भी राज्य में आयोग तब चुनाव नहीं कराता जब विधानसभा का कार्यकाल 1 साल से कम हो ऐसे में संभावना ये है कि निर्वाचन आयोग सीएम तीरथ की अर्जी पर जवाब में चुनाव ना कराने की असमर्थता जता दे क्योंकि देश मे उत्तराखंड के अलावा 25 विधानसभा सीट , 3 लोकसभा सीट और 1 राज्यसभा का उपचुनाव कराना है ऐसे में किसी एक राज्य के लिए निर्वाचन आयोग हा कर दे और दूसरो के लिए ना ऐसा होना संभव नही है हालांकि अगर चुनाव नही हुए तो बीजेपी की आगे की रणनीति क्या होती है ये देखते ही बनेगी ।

लेकिन इतना जरूर है कि इस मामले में बीजेपी आलाकमान ने अभी तक सीएम तीरथ का साथ नहीं दिया है , या फिर यू कहे उन्हें अकेला छोड़ दिया गया है जबकि पार्टी आलाकमान को सीएम तीरथ को कहना चाहिए था आप चुनाव की तैयारी करें और हम बात करते हैं लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है , अगर किसी और को सीएम बनाया जाएगा तो पार्टी जल्द फैसला कर सकती है उसमें संभावना मानी जा रही है किसी विधायक को सीएम बनाया जा सकता है या फिर पार्टी के पास विकल्प ये भी हो सकता है कि सितंबर तक तो तीरथ सिंह रावत सीएम रह ही सकते है उसके बाद किसी को सीएम ना बनाकर क्या राष्ट्रपति शासन भी एक विकल्प हो सकता है

हालांकि अगर आपको याद होगा तो 2016 में केंद्र की बीजेपी सरकार ने उत्तराखंड में चुनावी साल में राष्ट्रपति शासन थोपा था जिस दौरान कुछ फैसले अपने हक में करवा दिए थे लेकिन अब क्योंकि सत्ता में बीजेपी पार्टी है तो क्या ये विकल्प बीजेपी उपयोग करेगी इसपर कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन कुछ भी हो इस पूरे घटनाक्रम ने प्रदेश की जनता के सामने कई सवाल खड़े कर दिए है कि क्या राज्य ऐसी ही अस्थिरता के माहौल में रहेगा और क्या राजनैतिक दल ऐसे ही प्रदेश को राजनीति के प्रयोग की लेबोरेटरी साबित करके रहेंगे।

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