उत्तराखंड में हरीश के बागी नेताओ के विरोध से क्या बीजेपी को राहत ,लेकिन अब सबकी नजर हरक सिंह के अगले कदम पर….
देहरादून : उत्तराखंड में जैसे-जैसे चुनाव पास आ रहा है वैसे-वैसे राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है दलबदल तेजी से हो रहा है भाजपा के राउंड के बाद कांग्रेस ने भी एक राउंड दलबदल करवा लिया है हालांकि बागियों को लेकर हरीश रावत स्पष्ट कह चुके हैं कि वह महा पापी हैं बिना पाप की माफी मांगे वह कांग्रेस में नहीं आ सकते ऐसे में यशपाल के बाद अन्य बागियो की कांग्रेस में एंट्री खटाई में पड़ सकती है।
हालांकि उत्तराखंड में सियासत के ताजा उठापठक वाले घटनाक्रम के बाद अब सबकी नजरें पिछली बार के दल बदल के नेता रहे, हरक सिंह रावत पर है। हरक सिंह के नेतृत्व में ही पिछली बार विधायकों ने ऐन चुनाव से पहले पाला बदल किया था। हालांकि इस बार हरक सिंह खामोश जरूर हैं, लेकिन उन्होंने यशपाल आर्य के जाने के प्रतिक्रिया स्वरूप ये जरूर कहा कि उनका प्रभाव राज्य की करीब 30 सीटों पर है। विधानसभा चुनाव-2022 से पहले ऐसे बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है।
हरक सिंह के इस बयान के कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। जिस तरह वो हर विधानसभा चुनाव में अलग अलग सीटों से चुनाव जीत कर आते हैं, वो उनके इस दावे को पुख्ता भी करता है। लेकिन इस बार एकबार फिर लोगों की नजर हरक सिंह के दांव पर है। आखिरकार वो क्या करते हैं। आपको बता दें कि सोमवार को कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने अपने बेटे विधायक संजीव के साथ कांग्रेस को पुन: ज्वाइन कर लिया था।
भाजपा में खुद को पा रहे हैं बेहद असहज
कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भाजपा में खुद को बेहद असहज भी महसूस कर रहे हैं। कर्मकार बोर्ड का मसला रहा हो, या कोटद्वार मेडिकल कालेज का मसला, हरक सिंह परेशान ही रहे। त्रिवेंद्र सरकार में तो पहले कर्मकार बोर्ड की साइकिलों की जांच बैठी। फिर कोटद्वार मेडिकल कालेज प्रकरण में जांच बैठी। कार्यदायी संस्था से 20 करोड़ रुपये वापस कराए गए।