उत्तराखंड में हरीश रावत ने क्यों कहा अमित शाह दे रहे धमकी और कर रहे झूठी बातें….

देहरादून : अमित शाह ने पिछले दिनों हरीश रावत को कहीं चुनौतियों के साथ घेरने की कोशिश की ऐसे में अब हरीश रावत ने भी पलटवार करते हुए अमित शाह पर धमकी और गलत बयानी करने का आरोप मढ़ दिया है हरीश रावत ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा की।

“अमित शाह ने एक चर्चित आमसभा की। मुझको बहुत सारी बातें कहकर नवाज गये। उन्होंने दो चुनौतियां सार्वजनिक रूप से मुझको दी। उन चुनौतियों में, एक चुनौती में धमकी भी छिपी है और दो गलत बयानियां कर गये, बिल्कुल सफेद झूठ परोस गये। मेरा भी उत्तराखंडी स्वभाव है, फिर मैंने स्टिंग के मामले में कहा है कि मैं उत्तराखंडी गंगलोड़ हूंँ, लुढ़क सकता हूंँ, दूर तक घिसटते हुये जा सकता हूंँ, घिस-घिस करके मिट्टी में मिल सकता हूंँ, लेकिन मुझे कोई तोड़ नहीं सकता।”

सी.बी.आई. के माध्यम से मुझे तोड़ने का प्रयास हो रहा है, कोशिश है कि मुझे जेल में डाला जाय। खैर उत्तराखंड न्याय करेगा, भगवान केदार जी न्याय करेंगे। मैंने कुछ भी ऐसा नहीं किया है, जिससे लोकतंत्र या उत्तराखंड पर कलंक लगता हो। हाँ मैंने, लोकतंत्र को बचाया जरूर है। लोकतंत्र और संसदीय लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष किया और मुझे भगवान की कृपा से न्याय भी मिला है।

अमित शाह जी को मालूम है कि दोनों स्टिंग, जो मेरा हुआ है और जो भाजपा रूपी सत्तारूढ़ दल का हुआ है, उसका बाप एक ही है और भाजपा की जो वर्तमान सरकार है, उसका बाप भी वही व्यक्ति है जिसने दोनों स्टिंग किये हैं।

क्योंकि स्टिंग के गर्भ से ही वर्तमान भाजपा सरकार पैदा हुई है तो दोनों स्टिंग, मेरे स्टिंग को भी और जो भाजपा का स्टिंग किया गया है उसको भी बन्नू स्कूल ग्राउंड देहरादून में बड़े से स्क्रीन पर मुनादी करके दिखाया जाए और उत्तराखंड पर फैसला छोड़ दिया जाए कि भ्रष्टाचार वास्तविक अर्थों में कहां होता दिखाई दे रहा है! मेरे पास तो पत्रकार का बाना पहने हुये एक व्यक्ति आया, ताजमहल, लालकिला, सब कुछ खुद खरीद करके मेरी झोली में डालने का वादा कर रहा था। मैंने भी कह दिया कि यदि ऐसा करते हो तो मैं अमेरिका के फेडरल बैंक का खजाना आपके नाम पर कर दूंगा।

वो मौखिक जमा-खर्च बेच रहा था और मैं मौखिक जमा-खर्च अदा कर रहा था, खैर फैसला जनता के ऊपर छोड़ता हूंँ। कैसी अजीब विडंबना है जिन्होंने दलबदल किया वो, विधायक और मंत्री बने। जिन्होंने दल-बदल करवाया, पैसा देकर के विधायकों को खरीदा उनकी सरकार बनी और हरीश रावत, जिसने संसदीय लोकतंत्र व संवैधानिक कानून की रक्षा के लिए जिंदगी लगा दी, उसको सी.बी.आई. का मुकदमा झेलना पड़ रहा है तो तीन ही जगह मैं न्याय की गुहार लगा सकता हूंँ, भगवान केदार के पास लगा सकता हूंँ, अपने ईष्ट देवता के पास लगा सकता हूंँ और जनता-जनार्दन उत्तराखंड के पास लगा सकता हूंँ।

फैसला आप पर छोड़ता हूंँ मुझे तो भुगतना ही है, क्योंकि मैं 2016 में भी भाजपा की आंख की किरकिरी था और आज भी आंख की किरकिरी हूंँ। यदि मैं, उत्तराखंड के लोगों की आंख की किरकिरी हूँ तो मुझे निकालकर के बाहर फेंक देना और यदि आपको लगता है कि मैं आपके लिए खड़ा हूंँ, आपके लिए लड़ा हूंँ, आपके लिए लडूंगा तो फिर इस भाजपा रूपी अहंकार जो बन्नू स्कूल देहरादून में गरजा है, उससे मेरी रक्षा भी आप ही को करनी पड़ेगी। एक चुनौती तो मैंने निवेदित कर दी है, अन्य चुनौतियों पर मैं दूसरी बार आपसे बात करूंगा।

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