उत्तराखंड में क्या मुन्ना–मधु का टिकट काटकर नवप्रभात और प्रीतम को वॉक ओवर देना चाहती है भाजपा, रणनीतिकारो की सोच पर आ रहा तरस…..

देहरादून : माहौल चुनावी है। नामांकन से मतगणना तक की तिथियां घोषित हो चुकी हैं।सर्द मौसम में नेता दून से दिल्ली तक की दौड़ लगा रहे हैं। सभी टिकट पाने की जुगत में है। कोई भाजपा तो कोई कांग्रेस में संभावनाएं तलाश रहा है। नाउम्मीद हुए नेता अपना दल बदलने को तैयार बैठे हैं। ऐसे माहौल के बीच चकराता सीट भी खासी चर्चाओं में है। लोगों की दिलचस्पी इस बात को लेकर है कि भाजपा मधु चौहान को टिकट देती है या नहीं।

मधु चौहान जिला पंचायत देहरादून की अध्यक्ष हैं और वह भाजपा नेता व विकासनगर के विधायक मुन्ना सिंह चौहान की धर्मपत्नी हैं। अब तक वह चकराता सीट से दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं। दोनो ही बार चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के प्रत्यासी और दिग्गज नेता प्रीतम सिंह को जबरदस्त टक्कर दी लेकिन वो जीत नहीं पाईं। हालांकि इस बीच वर्ष 2008 और फिर 2019 में वह देहरादून जिलापंचायत का चुनाव जीतने में कामयाब रहीं, मौजूदा समय में भी वह इस जिम्मेदारी का निर्वहन कर रही हैं।

अबकी बार भी मधु चौहान चकराता से भाजपा के मजबूत दावेदार हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि उन्हें टिकट मिलना मुश्किल है। ‘एक परिवार से एक टिकट’ का पार्टी नियम उनकी मजबूत दावेदारी में आड़े आ रहा है। चूंकि उनके पति मुन्ना सिंह चौहान पड़ोस की विधानसभा विकासनगर के मौजूदा विधायक हैं और यहां से टिकट की दौड़ में सबसे आगे है, ऐसे में उनकी पत्नी को भी टिकट दिए जाने पर हर बार की तरह इस बार भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

यहां देखना दिलचस्प है कि चकराता की राजनीति प्रदेश की अन्य 69 सीटों से एकदम अलग है। इस जनजातीय विधानसभा क्षेत्र में राजनैतिक दलों का वजूद दो व्यक्तियों पर निर्भर है, वो हैं प्रीतम सिंह और मुन्ना सिंह चौहान। ये जब जिस दल में होते हैं चकराता में उस वक्त वो दल मजबूत हो जाते हैं। प्रीतम लंबे समय से कांग्रेस में हैं जबकि मुन्ना सिंह चौहान पिछले कुछ सालों से भाजपा का झंडा बुलंद किए हुए हैं। राज्य बनने के बाद उत्तराखण्ड में अब तक हुए चार विधानसभाओं में चकराता से प्रीतम सिंह लगातार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े।

इन चारों चुनाव में 2002 और 2012 में मुन्ना सिंह चौहान और 2007 व 2017 में मधु चौहान ने प्रीतम सिंह के सामने कड़ी चुनौती पेश की थी। मुन्ना चौहान ने उत्तराखण्ड जनवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर प्रीतम को टक्कर दी थी जबकि मधु ने पहले निर्दलीय और फिर भाजपा से प्रीतम को चुनौती दी। इन्हीं चुनाव में भाजपा ने जब मुन्ना और मधु के अलावा दूसरे नेताओं पर दांव खेला तो वे बमुश्किल अपनी जमानत बचा पाए।

ठीक यही स्थिति विकासनगर सीट पर भी है। यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता नवप्रभात को मुन्ना चौहान ही टक्कर दे सकते हैं। लेकिन भाजपा का एक गुट चौहान दंपति के टिकट कटवाकर उनकी लोकप्रियता को प्रभावित करना चाहता है, जबकि भाजपा के सर्वे में यह दंपत्ति अपनी अपनी सीट से टॉप पर हैं। माना जा रहा है कि यदि चकराता से मधु को टिकट नहीं मिला तो कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह को वॉक ओवर मिल जायेगा और फिर प्रीतम अन्य सीटों पर फ्री बैटिंग कर भाजपा को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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