उत्तराखंड में बीजेपी ने काटा विधायकों का टिकट तो ज्यादातर ने कहा हम पार्टी के साथ ,मुन्नी देवी बोली निर्दलीय लड़ सकती हूँ, मीना गंगोला को लेकर संशय…..
देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। इसमें कई ऐसे भी हैं, जो सिटिंग विधायक है और उनका टिकट कटा है। इसको लेकर किसी ने बीमारी तो किसी ने उम्र को वजह बताया है। वही कुछ तो विरोध मैं भी उतरने की तैयारी करते नजर आ रहे हैं।
कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि बीमारी के चलते टिकट नहीं मिला है। इस संबंध मे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से रायशुमारी के बाद यह निर्णय लिया गया। अभी मुझे चलने में परेशानी है, ऐसे मैं दूरस्थ गांवों तक पहुंचना संभव न हो पाएगा। इसी आधार पर पार्टी के निर्णय ने निर्णय लिया, इस पर मैंने सहमति जताई।
पौड़ी के विधायक मुकेश कोली ने कहा, पौड़ी विधान सभा सीट पर मेरा टिकट कटा नहीं, बल्कि परिवर्तित हुआ है। वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा ने मुझे टिकट दिया और मैंने जीत दर्ज की। इस बार शीर्ष नेतृत्व ने देशकाल और परिस्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया। मैं पार्टी का सेवक हूं और राज्य में फिर से सरकार बनाने के लिए जुटेंगे।
वहीं, खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने बताया कि मेरी मांग पर मेरी पत्नी कुंवर रानी देवयानी को खानपुर विधानसभा से भाजपा ने टिकट दिया है। मैं पार्टी की एक परिवार एक टिकट की नीति को स्वीकार करता हूं। खुशी है कि पार्टी ने मेरी मांग का सम्मान रखा। मैं अपनी पत्नी और अन्य विधानसभा से चुनाव लड़ रहे पार्टी उम्मीदवारों को चुनाव जिताने का काम करूंगा।
वहीं, यमकेश्वर विधायक रितु खंडूड़ी का कहना है कि पांच साल तक मैंने यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र में एक सजग जनप्रतिनिधि की तरह कार्य किया है। भारतीय जनता महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष बनाकर संगठन ने मुझ पर भरोसा जताया था। मैं अपने पांच वर्ष के कार्यकाल से पूरी तरह से संतुष्ट हूं। इस बार संगठन ने टिकट न देने का जो निर्णय लिया है वह निर्णय संगठन में सोच समझ कर ही लिया होगा। मुझे इस पर ज्यादा कुछ नहीं करना है, इतना जरूर है कि मैं अन्य किसी विधानसभा से चुनाव नहीं लडूंगी।
अल्मोड़ा से विधायक रघुनाथ सिंह चौहान ने कहा, पार्टी का निर्णय सिर माथे पर। 25 सालों से पार्टी ने हम पर भरोसा जताया और टिकट दिया। इसलिए उन्होंने जो निर्णय लिया वह ठीक है। जीतने के बाद जनता के विश्वास में पूरा खरा उतरने की कोशिश की। बस, मन में एक टीस रह गई इतने समय से पार्टी में सक्रिय है, लेकिन टिकट फाइनल करते समय पूछा तक नहीं गया।
द्वाराहाट से विधायक महेश नेगी ने कहा, पार्टी के निर्णय का स्वागत है, सोच समझकर ही निर्णय लिया होगा। अब भाजपा को बहुमत से जिताकर सत्ता में लाना ही मकसद है। पार्टी के सच्चे सिपाही की तरह काम करता रहूंगा। पार्टी से कोई गिला शिकवा नहीं है।
काशीपुर से विधायक हरभजन सिंह चीमा का कहना है कि मैंने अपनी उम्र को देखते हुए अक्टूबर माह में ही चुनाव नहीं लड़ने का एलान कर दिया था। पार्टी से मैंने अपने पुत्र त्रिलोक चीमा के लिए टिकट मांगा था। पार्टी ने उनके फैसले का सम्मान करते हुए उनके बेटे को मौका दिया है।
कपकोट से विधायक बलवंत भौर्याल ने कहा, मुझे पार्टी का निर्णय मंजूर है। चुनाव को लेकर मैंने पहले ही असमर्थता जता दी थी। भाजपा अनुशासित पार्टी है। क्षेत्र की जनता ने मुझे अपार प्रेम दिया है। भाजपा में रहकर वह अपने विकास कार्यों को आगे बढ़ाने का काम करेंगे।
थराली विधायक मुन्नी देवी ने कहा, मेरा टिकट क्यों काटा गया है, मैं यह पूछना चाहती हूं । मैंने विधायक रहते हुए क्षेत्र के विकास में ऐतिहासिक कार्य किये है जो आगे चलकर मील का पत्थर साबित होंगे। इतना ही नही मैंने केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं को भी जन जन तक पहुचाने का कार्य किया । अगर टिकट काटना ही था तो युवा और पार्टी में निष्ठावान एवं लंबे समय से कार्य करने वालो को मौका दिया जाना चाहिए था। नए और कांग्रेस गोत्र के व्यक्ति को टिकट दिया गया, इससे पुराने कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा है। समर्थकों के साथ चर्चा कर फैसला लूंगी। और निर्दलीय चुनाव भी लड़ सकती हैं