उत्तराखंड में मैदान के हाथ बीजेपी की कमान , पहाड़ मायूस ,क्या अब संगठन में होगा फेरबदल ,पहाड़ से प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग…

देहरादून : बीजेपी में एक बार फिर कयासों का बाजार गर्म है नए मुख्यमंत्री के बनने के बाद विधायकों और मंत्रियों की नाराजगी लगातार सामने आ रही है लेकिन अब एक बड़ा सवाल और उठने लगा है कि क्या उत्तराखंड भाजपा में फिर कोई बड़ा बदलाव होगा इसके पीछे एक बड़ा कारण यह है कि अब प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जो खटीमा विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक है वह उधम सिंह नगर जैसे मैदानी जिले से आते हैं।

वही प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मदन कौशिक भी हरिद्वार शहर से विधायक हैं यानी मैदानी जिले से ही आते हैं ऐसे में कुमाऊं और गढ़वाल के पहाड़ी जिलो की भाजपा के इन शीर्ष पदों में उपेक्षा की बातें भी सामने आ रही हैं माना जा रहा है कि जैसे जब सीएम तीरथ सिंह रावत को बनाया गया था तो हरिद्वार से मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया लेकिन अब क्योंकि मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों भाजपा के मैदानी जिलों से है तो ऐसे में हो सकता है उत्तराखंड भाजपा में भी जल्द बदलाव देखने को मिले क्योंकि इससे गढ़वाल और मैदान का समीकरण और संतुलन दोनों ही बिगड़ा हुआ नजर आ रहा है हालांकि कहने वाले यह भी कहते हैं कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मूल रूप से पहाड़ी हैं और पिथौरागढ़ से है लेकिन वर्तमान में वह एक मैदानी जिले की विधानसभा सीट से प्रतिनिधित्व करते हैं।

उत्तराखंड विधानसभा में ऐसे में गढ़वाल और कुमाऊं के पहाड़ी इलाकों में इस बात को लेकर जरूर चर्चाएं हो रही हैं कि आखिरकार भाजपा मैं कुमाऊं और गढ़वाल के पहाड़ी इलाकों का संतुलन क्यों नहीं बनाया जा रहा हालांकि सवाल कई हैं क्योंकि अब कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत 3 विधायक उधम सिंह नगर का प्रतिनिधित्व करते हुए नजर आएंगे ऐसे में क्या उधम सिंह नगर के किसी एक मंत्री को ड्रॉप किया जा सकता है और क्या मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष की जगह प्रचार मंत्री बनाया जा सकता है।

यह भी कई सवाल इस समय सियासी गलियारे में घूम रहे हैं कहा यह भी जा रहा है की अगर मदन कौशिक मंत्री बनाए गए तो गढ़वाल से किसी ब्राह्मण चेहरे को बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने की भी संभावना है वैसे बीजेपी है यहां कुछ भी संभव है लेकिन इतना जरूर है कि पहाड़ मैदान के स्वर में उत्तराखंड के पहाड़ी इला को की उपेक्षा जरूर भाजपा ने अपने फैसले लेने में की है।

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