DGP अशोक कुमार ने 20 दिन में निपटाए 20 सालों से अटके मामले! नई तबादला नीति के आदेश किए जारी…


देहरादून: उत्तराखंड पुलिस किसी न किसी वजह से सुर्खियों में बनी रहती है। पुलिस जनता की सेवा को सदैव तत्पर रहते हैं। उत्तराखंड पुलिस भी जनता की मदद को हमेशा एक्शन मोड में रहती है। वहक उत्तराखंड पुलिस ने पिछले 20 सालों से अटके मामले को 20 दिन में निपटा लिया है. उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के पद संभालने के 20 दिनों में ही पुलिसकर्मियों की तबादला नीति के आदेश जारी कर दिए गए।इस नीति के जारी होने के बाद अब उत्तराखंड पुलिस महकमे में भी नियम के लिहाज से ही तबादले हो सकेंगे।

उत्तराखंड पुलिस में सेटिंग-गेटिंग के आधार पर तबादला करवाना बीते दिनों की बात हो जाएगा. दरअसल उत्तराखंड पुलिस ने राज्य में स्थानांतरण नीति के आदेश जारी कर दिए हैं. जिसके बाद मैदानी जिलों से लेकर पहाड़ी जनपद तक में तबादलों को नीति के आधार पर ही किया जाएगा. तबादला नीति के अनुसार उत्तराखंड पुलिस विभाग में किस तरह होंगे तबादले और नियमों में क्या है खास जानिए बिंदुवार.

1-निरीक्षक एवं उप निरीक्षक स्तर के अधिकारियों की एक बार में चार मैदानी जनपदों (देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर एवं नैनीताल) में कुल नियुक्ति अवधि 08 वर्ष से अधिक नहीं होगी तथा पर्वतीय जनपद (टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत एवं पिथौरागढ़) में नियुक्ति अवधि 04 वर्ष से अधिक नहीं होगी.

2-मुख्य आरक्षी एवं आरक्षी की मैदानी जनपदों में नियुक्ति अवधि       क्रमशः 12 वर्ष एवं 16 वर्ष से अनधिक तथा पर्वतीय जनपद में       नियुक्ति अवधि क्रमशः 06 वर्ष एवं 08 वर्ष से अनधिक होगी.

3- वार्षिक स्थानान्तरण माह मार्च में किए जाएंगे और स्थानान्तरण      31 मार्च तक अनिवार्यतः पूर्ण कर लिए जाएंगे.

4-नवनियुक्ति/पदोन्नति एवं निर्धारित समय अवधि पूर्ण करने वाले कार्मिकों से नियुक्ति/स्थानान्तरण हेतु तीन विकल्प मांगे जाएंगे. जिनमें से 01 विकल्प पर्वतीय जनपद का होना अनिवार्य होगा. इन तीन विकल्पों के अन्तर्गत ही नियुक्ति/स्थानान्तरण किया जाएगा.

5-गैर जनपदीय शाखाओं (पुलिस मुख्यालय को छोड़कर) में पुलिस बल के कार्मिकों की नियुक्ति अवधि अधिकतम 03 वर्ष रहेगी. यदि सम्बन्धित कार्मिक की नियुक्ति अवधि बढ़ायी जानी आवश्यक हो तो, कार्मिक की कार्यकुशलता के आधार पर उसकी नियुक्ति अवधि 02 वर्ष बढाये जाने हेतु पूर्ण प्रस्ताव मुख्यालय को उपलब्ध कराया जायेगा. पुलिस मुख्यालय स्तर से जांच के बाद ऐसे कार्मिकों की नियुक्ति अवधि अधिकतम 02 वर्ष के लिये बढायी जा सकेगी तथा नियुक्ति अवधि बढ़ाये जाने विषयक आदेश में नियुक्ति अवधि बढ़ाये जाने के औचित्य का भी स्पष्ट उल्लेख किया जायेगा.

6-एक थाने एवं उसके अन्तर्गत आने वाली चौकियों में निरीक्षक/उपनिरीक्षक/मुख्य आरक्षी/आरक्षी की अधिकतम नियुक्ति अवधि 03 वर्ष रहेगी.

7-सीपीयू/एटीएस/एन्टी ड्रग्स टास्क फोर्स में सम्बद्वता अवधि 03 वर्ष की रहेगी. इन इकाईयों में किसी कार्मिक की सम्बद्धता अवधि पूर्ण होने के उपरान्त यदि सम्बद्धता अवधि बढ़ायी जानी आवश्यक हो तो, सम्बन्धित कार्मिक की कार्यकुशलता के आधार पर उसकी सम्बद्वता अवधि 02 वर्ष बढाये जाने हेतु पूर्ण प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध कराया जायेगा. पुलिस मुख्यालय स्तर से ऐसे कार्मिकों की सम्बद्वता अवधि अधिकतम 2 वर्ष के लिये बढ़ाई जा सकेगी.

8-यदि किसी अधिकारी/कर्मचारी को सेवानिवृत्त होने के लिए मात्र दो वर्ष ही रह गये हों तो, यथासम्भव उन्हें उनकी इच्छानुसार तीन जनपदों/शाखाओं में से एक में तैनात किया जाएगा. इसमें सम्बन्धित कर्मी का गृह जनपद (गृह तहसील/गृह थाना छोड़कर) भी सम्मिलित रहेगा.

9-यदि किसी अधिकारी/कर्मचारी की 04 मैदानी जनपदों में नियुक्ति अवधि पूर्ण हो चुकी हो तो सम्बन्धित अधिकारी/कर्मचारी को पुनः 04 मैदानी जनपदों में नियुक्ति पाने से पूर्व 09 पर्वतीय जनपदों में निर्धारित नियुक्ति अवधि पूर्ण किया जाना अनिवार्य होगा.

10-पुलिस विभाग में नियुक्त सभी संवर्गो के मुख्य आरक्षी/आरक्षी जिनका गृह जनपद पिथौरागढ, बागेश्वर, चम्पावत, चमोली एवं रुद्रप्रयाग है, को रिक्तियों के सापेक्ष यथासम्भव उनकी इच्छानुसार उनके उक्त गृह जनपदों में नियुक्त/स्थानान्तरण किया जा सकेगा. गृह जनपद में नियुक्त कार्मिकों को उनकी गृह तहसील/गृह थाने में नियुक्त नहीं किया जाएगा.

11- 45 वर्ष से अधिक आयु पूर्ण करने वाले मुख्य आरक्षी/आरक्षी, जिनका गृह जनपद उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल एवं अल्मोड़ा है, को रिक्तियों के सापेक्ष यथासम्भव उनकी इच्छानुसार उनके गृह जनपद में (गृह तहसील/गृह थाना छोड़कर) नियुक्त किया जा सकेगा.

12-यदि पति-पत्नी सरकारी सेवा में हों, तो उन्हें यथासम्भव एक ही जनपद/नगर/स्थान पर तैनात किया जाय.

13-यदि कोई पुलिसकर्मी आदेशों के विरूद्व एवं स्थानान्तरण के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का बाहरी दबाव डलवाने का प्रयास करेगा तो उसके इस कृत्य/आचरण का सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन मानते हुए उसके विरूद्व ‘उत्तराखण्ड सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली-2003’ के संगत प्राविधानों के अनुसार अनुशासनिक कार्यवाही करते हुए निलंबन के सम्बन्ध में भी विचार किया जाएगा

14- उत्तराखंड में अराजपत्रित पुलिस अधिकारियों की स्थानांतरण नीति को लेकर आदेश जारी किए गए हैं. इसमें पुलिसकर्मियों के मैदानी और पहाड़ी जिलों में स्थानांतरण को लेकर समीक्षा के बाद लिए गए निर्णय के आधार पर आदेश जारी हुए हैं. उत्तराखंड में पुलिस कर्मियों के स्थानांतरण नीति पर फैसला लेते हुए अब निरीक्षक और उप निरीक्षक स्तर के अधिकारियों के मैदानी जिलों में नियुक्ति 8 साल से अधिक नहीं होगी. जबकि पहाड़ी जनपदों में यह नियुक्ति 4 साल से ज्यादा नहीं होगी.

15– मुख्य आरक्षी और आरक्षी पद के लिए मैदानी जिलों में क्रमश: 12 साल और 16 साल से अधिक जबकि पर्वतीय जनपदों में 6 और 8 साल से अधिक नहीं होगी. खास बात यह है कि नीति में साफ किया गया है कि स्थानांतरण 31 मार्च तक अनिवार्यता पूर्ण कर लिए जाएंगे. जबकि वार्षिक स्थानांतरण मार्च के महीने में होंगे. जिन पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण की अवधि पूरी हो जाएगी. उनसे तीन विकल्प मांगे जाएंगे.

16-जिनमें से एक विकल्प पर्वतीय जनपद का होना जरूरी होगा. तीन दिए गए विकल्पों के आधार पर स्थानांतरण किए जाएंगे. पुलिस मुख्यालय को छोड़कर गैर जनपदीय शाखाओं में पुलिसकर्मियों की नियुक्ति 3 साल के लिए की जाएगी. जबकि जरूरी होने पर 2 साल समय अवधि बढ़ाने के लिए पुलिस मुख्यालय के स्तर पर निर्णय लिया जा सकेगा. स्थानांतरण नीति में एक महत्वपूर्ण बिंदु थाने में नियुक्ति को लेकर भी है. इसके तहत एक थाने और उसके अंतर्गत आने वाली चौकियों में निरीक्षक उपनिरीक्षक मुख्य आरक्षी और आरक्षी की अधिकतम नियुक्ति की समयावधि 3 साल ही रहेगी।

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