उत्तराखंड में हरिद्वार में ही हुई फर्जी टैस्टिंग या प्रदेश भर में फैला जाल ,शासन ने लिया अब यह बड़ा फैसला ,क्या बोले मंत्री….
देहरादून : उत्तराखंड सरकार द्वारा कोरोना जांच के लिए अधिकृत की गई सभी कंपनियों से अब सरकार से ली गई कोरोना किट के सापेक्ष शासन को जमा किए गए बिल की जांच की जाएगी। इससे यह पता चल सकेगा कि सही मायनों में कितनी जांच की गई है और कितना फर्जीवाड़ा हुआ है। हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना जांच को लेकर की गई प्रारंभिक जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद सरकार ने यह निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सरकार ने हरिद्वार में कोरोना जांच करने के लिए अधिकृत की गई कंपनियों का अवशेष भुगतान तकरीबन 300 करोड़ रुपये भी रोकने को कहा है।
प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में तेजी से बढ़ रहे मामलों को देखते हुए आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट लेकर आना अनिवार्य किया था। इसके साथ ही हरिद्वार की सीमा पर भी कोरोना की आरटीपीसीआर और एंटीजन जांच की व्यवस्था की गई थी। यहां जांच को लेकर फर्जीवाड़े की बात तब सामने आई, तब एक व्यक्ति के मोबाइल पर बिना जांच किए ही जांच कराने संबंधी मैसेज आया। उसने इसकी शिकायत आइसीएमआर से की। आइसीएमआर के पत्र पर स्वास्थ्य विभाग ने इसकी प्रारंभिक जांच कराई। इसमें गड़बड़ी की पुष्टि हुई।
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि एक ही मोबाइल नंबर पर 50 से अधिक लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया। वहीं एक एंटीजन किट से तकरीबन 700 सेंपल की जांच । दिखाया गया। इसी प्रकार हरिद्वार के एक ही घर से तकरीबन 530 सैंपल लेना दिखाया गया। इसके अलावा सैंपलिंग कराने वालों के पते और फोन नंबर भी गलत पाए गए। इतना ही नहीं, जांच कंपनियों द्वारा सैंपल लेने के लिए रखे गए कर्मचारी भी राजस्थान के विद्यार्थी और डाटा एंट्री आपरेटर निकले।
प्रारंभिक जांच के बाद मिले इन तथ्यों को देखते हुए शासन ने इस मामले में विस्तृत जांच के निर्देश जिलाधिकारी हरिद्वार को दिए हैं। इस संबंध में शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि सरकार ने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे जांच के लिए अधिकृत सभी कंपनियों की जांच करे। साथ ही उनके द्वारा खरीदी गई किट और इसके सापेक्ष जमा किए गए बिल की भी जांच की जाए। इसमें जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।