लोगो मे कोरोना वैक्सीन लेने के बाद भी हो रहे हैं संक्रमण, कितने असरदार हैं टीके ?

कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज़ लेने के तीन हफ़्ते बाद दिल्ली के एक वरिष्ठ पत्रकार को तेज़ बुखार, गले में खराश और दूसरी दिक्कतें होनी शुरू हुईं. 22 अप्रैल को जानेमाने विज्ञान मामलों के पत्रकार पल्लव बागला कोरोना पॉज़िटिव हो गए।

चार दिनों के बाद उनकी छाती के स्कैन में फेफड़ों में सफेद रंग दिखा जो इंफेक्शन का संकेत था.

लक्षण आने के आठ दिनों बाद भी जब बुख़ार नहीं उतरा तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया.

एम्स के डॉक्टरों ने 58 साल के बाग्ला के ख़ून की जांच कराई और स्टेरॉइड्स दिए.

बागला को डायबटीज़ भी है इसलिए उनका शुगर लेवल बढ़ने लगा. गनीमत थी कि उनका ऑक्सीजन लेवल बहुत नीचे नहीं गिर रहा था।

जब वो अस्पताल छोड़ रहे थे तो डॉक्टरों ने उन्हें एक दूसरे डायबटिक कोविड मरीज़ के फेफड़ों का स्कैन दिखाया जो उन्हीं की उम्र के थे.

बागला बताते हैं, “फ़र्क साफ़ नज़र आ रहा था. डॉक्टरों ने बताया कि अगर मैंने वैक्सीन नहीं ली होती तो मुमकिन है कि मैं वेन्टिलेटर पर या आईसीयू में होता. सही समय पर और वैक्सीन की पूरी डोज़ लेने से मेरी जान बच गई.”

बढ़ रही है वैक्सीन लेने के बाद संक्रमित होने वालों की संख्या

भारत ने अपनी तीन फीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों ख़ुराकें दे दी हैं. लेकिन पूरी वैक्सीन के बाद आने वाले संक्रमण के मामले अब बढ़ते हुए दिख रहे हैं.

हेल्थ वर्कर- डॉक्टर, नर्स, अस्पताल और क्लिनिक में काम करने वाले लोगों को ख़ासतौर पर इसका सामना करना पड़ा है.

बागला इनमें से नहीं है, इसलिए वैज्ञानिकों ने उनके मुंह और नाक़ से स्वाब लिया है ताकि वायरस के जेनेटिक कोड को समझ सकें.

मक़सद है ये जान पाना कि क्या भारत में जिन दो टीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वो नए और तेज़ी से फैलने वाले वेरिएंट पर काम करते हैं.

इस बात में कोई शक़ नहीं है कि कोरोना की वैक्सीन कारगर हैं. ये वैक्सीन संक्रमण से नहीं बचाते लेकिन ज़्यादातर लोगों को गंभीर रूप से बीमार होने से ज़रूर बचाते हैं.

लेकिन टीके 100 प्रतिशत कारगर नहीं होते, ख़ासतौर पर इस तेज़ी से बढ़ती महामारी के दौर में. इसलिए वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमण होना आश्चर्य की बीत नहीं.

26 अप्रैल तक अमेरिका में 95 लाख लोगों का टीकाकरण हो चुका था. सेंटर्स फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक़ इनमें से 9,045 लोगों में ‘ब्रेकथ्रू’ संक्रमण यानी टीके के बाद भी संक्रमण हुआ.

835 लोग यानी करीब नौ फीसदी लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. इनमें से 132 यानी एक प्रतिशत की हालत गंभीर थी और उनकी मौत हो गई.

अस्पताल में भर्ती होने वाले एक-तिहाई लोगों में कोरोना के कोई लक्षण नहीं देखे गए. वहीं जिन 15 प्रतिशत लोगों की मौत हुई उनमें मौत का कारण “न तो कोविड के लक्षण थे और न ही इससे जुड़ा कारण.”

भारत में डेटा की कमी है इसलिए इन मामलों से जुड़ी जानकारियां भी कम हैं. लेकिन वैक्सीन की दोनों डोज़ ले चुके स्वास्थ्यकर्मियों में संक्रमण के बढ़ने की ख़बर है.

कुछ मौतों की ख़बर भी है लेकिन ये सीधे तौर पर संक्रमण से जुड़े हैं या नहीं, इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है।

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भारत में आंकड़ों की कमी

आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर दस हज़ार लोगों में से दो से चार लोग, जिन्हें टीके की दोनों डोज़ मिली है, वो ब्रेकथ्रू संक्रमण का शिकार हुए हैं. लेकिन ये डेटा अधूरा है- तीन महीने तक वो लोग जिनका टेस्ट किया जा रहा था, उनसे पूछा ही नहीं गया कि उन्होंने वैक्सीन ली है या नहीं.

अस्पतालों से भी बहुत जानकारियां नहीं मिल रहीं.

अमेरिका के मेयो क्लिनिक के प्रोफ़ेसर डॉ. विंसेंट राजकुमार बताते हैं उन्होंने तमिलनाडु में दो सरकारी अस्पतालों से बात की और उन्हें पता चला कि वहां काम करने वाले एसे “बहुत कम” स्वास्थ्यकर्मी संक्रमण का शिकार हुए हैं जो वैक्सीन ले चुके हैं.

उन्होंने बताया, “जिन्हें संक्रमण हुआ वो जल्द ही ठीक भी हो गए.”

लेकिन दिल्ली के सबसे बड़े कोविड अस्पताल, दिल्ली के लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल के आईसीयू में काम करने वाले वैक्सीन ले चुके 60 प्रतिशत डॉक्टर संक्रमित हो गए.

हालांकि आईसीयू में काम करने वालीं डॉ. फ़राह हुसैन बताती हैं कि किसी को भी अस्पताल में भर्ती कराने की ज़रूरत नहीं पड़ी.

उनके मुताबिक़, “उन लोगों के परिवार के कुछ लोग बीमार पड़े और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा.”

दिल्ली के एक निजी अस्पताल फोर्टिस सी-डॉक अस्पताल ने एक स्टडी में पाया कि टीका ले चुके 113 में से 15 स्वास्थ्यकर्मी दूसरी डोज़ लेने के 15 दिनों के बाद संक्रमण का शिकार हो गए. इनमें से एक व्यक्ति को ही अस्पताल में भर्ती कराने की ज़रूरत हुई.

स्टडी के को-ऑथर डॉ अनूप मिश्रा के मुताबिक़, “देश में स्वास्थ्य कर्मचारियों में ब्रेकथ्रू संक्रमण के हम कई मामले देख रहे हैं. लेकिन ज़्यादातर मामूली लक्षण वाले मामले हैं, वैक्सीन गंभीर संक्रमण को रोक रही है.”

कोरोना संक्रमित नर्स की दरियादिली

केरल में वैक्सीन लेने के बाद संक्रमण का शिकार हुए स्वास्थ्यकर्मियों के स्वाब की मदद से हाल ही में कोरोना वायरस की सीक्वेंसिंग की गई.

जेनेटिक्स पर काम करने वाले और इस स्टडी के शोधकर्ता डॉ. विनोद सकारिया के मुताबिक़ इनमें से दो लोग कोरोना वायरस के नए वैरिएंट का शिकार थे जिनमें म्यूटेशन था लेकिन कोई भी गंभीर रूप से बीमार नहीं हुआ.

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के संक्रमण को सही तरीके से समझने के लिए भारत में इनसे जुड़े अधिक डेटा चाहिए, इससे ये भी समझने में मदद मिलेगी की वैक्सीन कैसे काम कर रही है.

वायरोलॉजिस्ट डॉ. शाहिद जमील बताते हैं, “लोग अब ये सवाल पूछ रहे हैं कि क्या ये सच है कि अब ज़्यादा लोग वैक्सीन के बाद संक्रमण का शिकार हो रहे हैं.”

“इस तरह की ख़बरों से उन लोगों में घबराहट पैदा होती है जो अब तक टीका नहीं ले पाए हैं.”

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वैक्सीन के असर को लेकर चिंता

लेकिन इससे बड़ी चिंता भारत में चल रहे टीकाकरण अभियान की सुस्त रफ्तार को लेकर है.

अभी भी हर्ड इम्यूनिटी दूर तक नहीं दिख रही. हर्ड इम्यूनिटी तब आती है जब एक बड़ी आबादी में बीमारी से प्रतिरोधक क्षमता आ जाती है. ये टीकाकरण से भी हो सकता है और प्राकृतिक रूप से बीमारी के ठीक होने के बाद भी.

ऐसे में अगर लोगों में वैक्सीन को लेकर डर बैठ जाए तो ये बड़ी समस्या हो सकती है.

वैज्ञानिकों का कहना कि भारत में फैल रही कोरोना महामारी की दूसरी लहर, वायरस के म्यूटेट होने की संभावना और उसके फैलने को और आसान बना देगी. ज़्यादा घातक म्यूटेशन वाले वायरस वैक्सीन से मिलने वाली प्रतिरोधक क्षमता को भेदने में कामयाब हो सकते हैं.

कुल मिलाकर वैज्ञानिकों का कहना कि वैक्सीन की असर अलग-अलग हो सकता है, लेकिन ये लोगों को गंभीर बीमारी से बचाने में कारगर साबित हो रहे हैं.

लेकिन चूंकि ये मुमकिन है कि पूरी तरह से वैक्सीन ले चुके लोग भी संक्रमित हो सकते हैं और संक्रमण फैला सकते हैं इसलिए सावधानी बरतना जारी रखना होगा. अभी लंबे समय तक भीड़-भाड़ से दूर रहना, मास्क लगाए रखना और बंद जगहों पर इकट्ठा होने से बचना होगा.

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कुछ जानकारों का ये मानना है कि केरल की तरह दूसरे जगहों पर भी डबल मास्किंग (दो मास्क लगाना) अनिवार्य कर देना चाहिए.

साथ ही स्वास्थ्य विभागों की तरफ से जानाकरियां सटीक तौर पर दी जानी चाहिए, जो कि अभी तक नहीं हो रहा, जैसे कि क्या वैक्सीन की दोनों डोज़ ले चुके लोग घर पर या काम करने की जगह पर इकट्ठा हो सकते हैं?

बागल कहते हैं, “वैक्सीन काम करती है, लेकिन ये आपको लापरवाह होने का लाईसेंस नहीं दे देती. आपको सावधानी बरतनी होगी.”

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