उत्तराखंड के इस गांव में एक भी परिवार ने नहीं किया पलायन, खेती-बागवानी ही कमा रहे लाखों रुपये
“खेती बागवानी के बल पर समृद्धि की राह पर कदम बढ़ा रहा है गांव”
“32 परिवार खेती बागवानी से हर साल काम रहे हैं पांच-15 लाख रुपये”
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में नैणी गांव खेती बागवानी के बल पर समृद्धि की राह पर कदम बढ़ा रहा है। गांव के युवा नौकरी के लिए गांव से पलायन करने के बजाय गांव में ही नकदी फसल उत्पादन से सालाना 5-15 लाख तक आमदनी कर रहे हैं। करीब तीन सौ आबादी वाले गांव में महज दस लोग सरकारी नौकरी में हैं और गांव से पलायन शून्य है।
नौगांव ब्लाक मुख्यालय से करीब पांच किमी सड़क दूरी पर स्थित नैणी गांव के ग्रामीण खेती बागवानी को आजीविका का आधार बनाकर नजीर पेश कर रहे हैं। क्षेत्र में गांव की पहचान खेती बागवानी के लिए ही है। शिवणी, पथनाला और अखोड़ी प्राकृतिक स्रोत से गांव में सिंचाई की व्यवस्था है। ग्रामीण बगैर सरकारी सहयोग के अपने खेतों में टमाटर, मटर, फ्रेंचबीन आदि नकदी फसलों के उत्पादन के साथ ही सेब, कीवी आदि की बागवानी भी कर रहे हैं।
दो साल पहले गांव में सभी परिवारों ने फूलों की खेती शुरू की, लेकिन बाजार उपलब्ध नहीं होने पर उन्होंने फूल उगाने बंद कर दिए। गांव में खेती बागवानी में किए जा रहे प्रयोग ही हैं कि अन्य क्षेत्रों के किसान भी खेती बागवानी की सीख लेने यहां आते हैं।
32 परिवार वाले गांव की आबादी करीब 300 है। इनमें से महज दस लोग सरकारी नौकरी में हैं। गांव से एक भी परिवार ने पलायन नहीं किया है। सिंचाई के पर्याप्त इंतजाम होने पर ग्रामीण नकदी फसल उत्पादन कर रहे हैं, जबकि असिंचित जमीनों पर स्पर प्रजाति के सेब के बगीचे तैयार किए गए हैं
इनसे सीखें
रवाईं घाटी फल एवं सब्जी उत्पादक एसोसिएशन के अध्यक्ष जगमोहन चंद का कहना है कि नैणी गांव के युवाओं का रुझान खेती बागवानी की ओर है और इस दिशा में वे सफल प्रयास भी कर रहे हैं। ऐसे में यदि सरकार गांव को मॉडल के तौर पर पेश करे, तो पहाड़ के अन्य गांवों को भी नैणी गांव की तर्ज पर विकसित किया जा सकता है।
केस 1-
नैणी गांव निवासी महावीर चंद ने आठवीं कक्षा तक शिक्षा ली है। उन्होंने गांव में टमाटर एवं फूलों की खेती तथा सेब बागवानी के साथ ही सेब के पौधों की नर्सरी भी तैयार की है। खेती बागवानी से वह साल में करीब 15 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं। इस प्रगतिशील काश्तकार ने वर्ष 1997 में अपने गांव में कीवी फल का बगीचा तैयार किया था। हालांकि उस समय इस फल को बाजार उपलब्ध नहीं होने पर उन्होंने कीवी उत्पादन बंद कर दिया।
केस 2-
इसी गांव के जगमोहन चंद पोस्ट ग्रेजुएट हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी के पीछे दौड़ने के बजाय उन्होंने गांव में ही नकदी फसल उत्पादन शुरू किया। वह साल भर में खेती बागवानी से 4-5 लाख रुपये की आमदनी कर लेते हैं। वर्तमान में वह रवाईं घाटी फल एवं सब्जी उत्पादक एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं और इसके माध्यम से क्षेत्र में खेती बागवानी को बढ़ावा देने में जुटे हैं।
केस 3-
नैणी गांव निवासी रविंद्र चंद ने खेती बागवानी को आजीविका का जरिया बनाया। नकदी फसल टमाटर उत्पादन और सेब बगीचे के साथ ही वह फूलों की खेती भी कर रहे हैं। इससे उन्हें सालाना करीब पांच लाख रुपये की आय हो जाती है।