अखाड़ो के धर्म ध्वजा स्थापना के लिए आज ध्वज की लकड़ियों को अखाड़ो को सौंप दिया गया है साधु-संतों में भी काफी खुशी की लहर
विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन कुम्भ महापर्व होगा या नही इस तरह के कयास पर आज विराम लग गया कुम्भ में अखाड़ो के भव्य कार्यक्रम धर्म ध्वजा स्थापना के लिए आज ध्वज की लकड़ियों को पूरे रीति रिवाज के साथ अखाड़ो को सौंप दिया गया है एक तरह से आज से कुंभ मेले का आगाज हो गया है धर्म ध्वजा अखाड़ों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है क्योंकि धर्म ध्वजा सथापना के साथ ही अखाड़ो में कुंभ की शुरुआत हो जाती है धर्म ध्वजा की लकड़ियां पहुंचने पर साधु-संतों में भी काफी खुशी की लहर देखने को मिली तो वही मेला प्रशासन ने भी राहत की सांस ली क्योंकि धर्म ध्वजा की लकड़ियों को लाना काफी बड़ी चुनौती होती है।
कोरोना महामारी का असर कुम्भ पर भी पड़ा है हरिद्वार में होने वाला कुम्भ महापर्व परम्परागत रूप से 4 महीने की अवधि का होता आया है मगर कोरोना की वजह से कुम्भ के आयोजन को लेकर ही आशंकाए जताई जाने लगी थी कि कुम्भ होगा भी नही क्योंकि कुंभ में भारी भीड़ आती है और भारी भीड़ एक साथ होने से कोरोना का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ सकता है इसीलिए राज्य सरकार ने कुम्भ होगा या नही के कयासों पर विराम लगते हुए साफ कर दिया था कि कुम्भ होगा।
मगर अब इसकी अवधि भी कम होगी और स्वरूप भी अलग होगा कुम्भ अब 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक केवल एक माह अवधि का ही होगा मगर आज प्रतीकात्मक रूप से कुम्भ की शुरुआत हो गई जब अखाड़ो में स्थापित होने वाली धर्म ध्वजाओं के लिए लकड़ियों को पूरे रीति रिवाज और सुरक्षा के साथ सभी तेरह अखाड़ो में पंहुचा दिया गया मेला प्रशासन अखाड़ो के प्रतिनिधियों के साथ आज सुबह ही देहरादून के पास जंगलो में पहले से चिन्हित की गई लकड़ियों को लेने के लिए पंहुच गया था पूरे विधि विधान के साथ लकड़ियों को काट कर कड़ी सुरक्षा के बीच अखाड़ों मे पंहुचा दिया गया।
धर्म ध्वजा की लकड़िया अखाड़ो में पंहुचने से अखाड़ो में खुशी का माहौल है अखाड़ो के प्रतिनिधि कहते है कि आज खुशी का माहौल है धर्म ध्वजा के लिए लकड़िया पहुंचाने का संदेश साफ है कि कुम्भ होगा दिव्य व भव्य होगा मगर पूरी सुरक्षा के साथ होगा दिगम्बर वैष्णवी अनि अखाड़े के बाबा हठयोगी का कहना है कि आज उन लोगो की भ्रांतिया दूर हो जाएंगी जो कह रहे थे कि कुम्भ नही होगा हठ योगी के अनुसार जल्द ही अब अखाड़े अलग अलग तिथियों में अपनी धर्म ध्वजाओं की स्थापना करेंगे जिसके बाद कुम्भ के मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।