CBSE की पहले अंक सुधार की परीक्षा दी, अंक कम आए तो पुराने अंक पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुँचे….
दिल्ली : सेंट्रल बोर्ड आफ सेकेंड्री एजुकेशन (सीबीएसई) की 12वीं की परीक्षा में अपने अंकों में सुधार के लिए सम्मिलित होने वाले 11 छात्रों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट छह दिसंबर को सुनवाई करेगा। अंक सुधार (इम्प्रूवमेंट) परीक्षा में कम अंक पाने पर इन छात्रों ने उनका मूल परिणाम (ओरिजिनल रिजल्ट) बरकरार रखने के बोर्ड को निर्देश दिए जाने की मांग की है।
सीबीएसई ने 30:30:40 की मूल्यांकन नीति के आधार पर इन छात्रों को पास घोषित किया था और बाद में उन्हें इस साल अगस्त-सितंबर में हुई इंप्रूवमेंट परीक्षा में सम्मिलित होने की अनुमति प्रदान की थी। याचिका में कहा गया है कि इंप्रूवमेंट परीक्षा में याचिकाकर्ताओं को या तो फेल घोषित कर दिया गया है या बहुत कम अंक प्रदान किए गए हैं। उन्हें आशंका है कि अब उनका मूल परिणाम रद कर दिया जाएगा जिसमें उन्हें पास घोषित किया गया था।
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ के समक्ष जब यह याचिका सुनवाई के लिए आई तो सीबीएसई के वकील ने कहा कि उन्हें रविवार को ही याचिका की प्रति मिली है और उन्हें निर्देश प्राप्त करने के लिए कुछ समय की आवश्यकता है। इसके बाद पीठ ने सुनवाई छह दिसंबर के लिए स्थगित कर दी।
अधिवक्ता रवि प्रकाश के जरिये दाखिल याचिका में सीबीएसई की 17 जून की मूल्यांकन नीति का हवाला दिया गया है जो कहती है कि नीति पर आधारित मूल्यांकन से असंतुष्ट छात्रों को हालात अनुकूल होने पर बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा में शामिल होने का अवसर मिलेगा। इस प्रविधान के मुताबिक बाद में हुई परीक्षा का परिणाम ही अंतिम माना जाएगा। याचिका में दावा किया गया है कि यह प्रविधान सीबीएसई के अपने ही सर्कुलर्स के खिलाफ है।
इसके साथ ही इसमें बोर्ड के 16 मार्च के सर्कुलर का हवाला दिया गया है जो कहता है कि किसी विषय में जो अंक बेहतर होंगे उन्हें अंतिम माना जाएगा और जो अभ्यर्थी अपने प्रदर्शन में सुधार करेंगे, उन्हें कंबाइंड मार्कशीट जारी की जाएगी। याचिका के मुताबिक ऐसा कोई विशिष्ट उपनियम नहीं है जो कहता हो कि इंप्रूवमेंट परीक्षा में बैठने वाले छात्रों के मूल अंक अवैध हो जाएंगे या रद हो जाएंगे।