उत्तराखंड के टिहरी में मलबे में जिंदगी तलाशते रहे ग्रामीण, कल दिन भर नहीं पहुंची थी बचाव टीम शाम को पहुंची एसडीआरएफ अधिकारी आज सुबह पहुंचे देखिए वीडियो…..
टिहरी: कल देर रात हेड कांस्टेबल पंकज घिल्डियाल के हमराह एक SDRF रेस्क्यू टीम ग्वाड़ गांव पहुंची। घटनास्थल पर 7 लोगों के दबे होने की सूचना थी।जिसमें ग्रामीणों द्वारा दो शवों को निकाल दिया गया है। पांच अभी लापता है, जिनको SDRF टीम द्वारा रात में सर्च ऑपरेशन चलाकर तलाश किया गया ,परन्तु देर रात तक कुछ पता नहीं चल पाया। अंधेरा बढ़ने के कारण सर्चिंग में कठिनाई होने पर सर्च ऑपरेशन रोकना पड़ा । आज प्रातः पुनः सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। वहीं जिला प्रशासन के अधिकारी आज सुबह पहुंचे हैं।
टिहरी में मलबे में जिंदगी तलाशते रहे ग्रामीण, दिन भर नहीं पहुंची बचाव टीम शाम को पहुंची एसडीआरएफ
Cloudburst In Tehri टिहरी जनपद के जौनपुर ब्लाक का ग्वाड़ गांव में सात ग्रामीण मलबे में दब गए। पूरे दिन एसडीआरएफ और पुलिस की टीम नहीं पहुंची। इस पर ग्रामीणों ने खुद ही ग्रामीणों को बचाने में जुटे रहे।
जौनपुर ब्लाक का ग्वाड़ गांव देहरादून से महज 35 किलोमीटर दूर है, लेकिन वहां मलबे में दबे सात ग्रामीणों की जिंदगी बचाने के लिए शनिवार पूरे दिन एसडीआरएफ और पुलिस की टीम नहीं पहुंच सकी। मजबूरी में गांव के ग्रामीण ही अपने संसाधनों से खुद ही गैंती-बेलचे लेकर मलबे में दबे ग्रामीणों को बचाने में जुटे रहे।
गांव तक आने के रास्ते बंद होने के कारण एसडीआरएफ और पुलिस की टीम शनिवार शाम को गांव पहुंची, जबकि ग्रामीणों ने शनिवार सुबह सात बजे ही आपदा नियंत्रण कक्ष और प्रशासन को गांव में सात ग्रामीणों के मलबे में दबे होने की सूचना देकर हेलीकाप्टर से गांव में बचाव टीम भेजने की मांग की थी।
शनिवार को पूरे दिन पुलिस और एसडीआरएफ टीम ग्वाड़ गांव नहीं पहुंच पाई। गांव तक आने के रास्ते क्षतिग्रस्त होने के कारण टीम को पैदल ही गांव का सफर तय करना पड़ा। ऐसे मुश्किल वक्त में मलबे में दबे सात ग्रामीणों को बचाने के लिए ग्वाड़ गांव के ग्रामीणों के पास खुद बचाव करने के अलावा कोई चारा नहीं था।
ग्राम प्रधान अरविंद सिंह और क्षेत्र पंचायत तीरथ सिंह के साथ लगभग 30 से 40 ग्रामीण गैंती बेलचे लेकर सुबह से मलबा हटाने में जुट गए। शनिवार 12 बजे तक ग्रामीणों ने दो शव बरामद कर लिए।
ग्राम प्रधान अरविंद सिंह ने बताया कि गांव में सुबह पटवारी और कानून गो पहुंच गए थे, लेकिन एसडीआरएफ और पुलिस की टीम शाम को गांव पहुंच पाई। गांव आने के लिए सड़क और पैदल रास्ते क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
ग्रामीण तीरथ सिंह रावत ने बताया कि उन्होंने सुबह सात बजे आपदा नियंत्रण कक्ष और प्रशासन को गांव में मलबा आने से सात ग्रामीणों के दबे होने की सूचना दे दी थी और हेलीकाप्टर से गांव में बचाव टीम भेजने की मांग की थी, लेकिन हेलीकाप्टर नहीं भेजा गया।
एसडीआरएफ की टीम रास्ते बंद होने के कारण कुमाल्डा से लगभग 25 किलोमीटर पैदल चलकर शाम तक गांव पहुंच सकी। एसडीआरएफ की टीम पैदल आने के कारण देर से पहुंची, अगर उन्हें हेलीकाप्टर से भेजा जाता, तो टीम समय पर आ सकती थी।
गांव में तत्काल बचाव कार्य न कराने पर ग्रामीणों में भी भारी आक्रोश है। इस संबंध में एडीएम रामजी शरण शर्मा ने बताया कि पैदल चलने के कारण टीम देर से पहुंच सकी।
आपदा कंट्रोल रूम दे रहा गलत सूचना
टिहरी का आपदा नियंत्रण कक्ष आपदा के दौरान कितनी गंभीरता से काम करता है, इसकी बानगी शनिवार को उस वक्त दिखी, जब शनिवार सुबह आपदा नियंत्रण कक्ष की रिपोर्ट में धौलागिरी क्षेत्र में सात ग्रामीणों के मलबे में दबकर लापता होने की सूचना सभी प्लेटफार्म पर भेजी गई।
प्रशासन की रिपोर्ट में धौलागिरी गांव में सात ग्रामीणों के मलबे में दबने की जानकारी दी गई। उसके बाद दोपहर में आपदा नियंत्रण कक्ष से इस सूचना में संशोधन किया गया और बताया गया कि धौलागिरी में नहीं, बल्कि ग्वाड़ गांव में सात ग्रामीण मलबे में दबे हैं