उत्तराखंड के सचिवालय में वीडियो शूटिंग विवाद: आईएएस अधिकारी की अनुपस्थिति में हुआ अनुचित कृत्य……….
देहरादून: सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि हासिल करने की दौड़ अब सरकारी नियमों और गरिमा को प्रभावित करने लगी है। सामान्य नागरिकों से लेकर उच्च पदों पर आसीन सरकारी कर्मी भी इस प्रवृत्ति से प्रभावित हो रहे हैं। हाल ही में उत्तराखंड सचिवालय से एक ऐसा उदाहरण सामने आया है, जहां एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के कार्यालय में उनकी गैरमौजूदगी के दौरान एक वीडियो रिकॉर्ड किया गया और उसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर साझा कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, यह वीडियो उस अधिकारी की वरिष्ठ व्यक्तिगत सचिव द्वारा तैयार किया गया था।
इस घटना के उजागर होने के बाद प्रभावित वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने सचिवालय प्रशासन को एक पत्र भेजकर इस कार्य को अत्यंत निंदनीय करार दिया है। पत्र में उन्होंने जोर देकर कहा है कि यह व्यवहार न सिर्फ सरकारी दायित्वों के प्रति लापरवाही दर्शाता है, बल्कि ऐसी महत्वपूर्ण संस्था की प्रतिष्ठा और अनुशासन पर भी सवाल उठाता है।
अधिकारी ने अपने पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि बिना पूर्व अनुमति के कार्यालय क्षेत्र में वीडियो बनाना और उसे सार्वजनिक रूप से प्रसारित करना पूरी तरह से अनुपयुक्त है। इससे प्रशासनिक प्रक्रियाओं, गोपनीयता और सरकारी प्रोटोकॉल को क्षति पहुंचती है। उन्होंने इसे सेवा नियमों का स्पष्ट उल्लंघन माना है। इस प्रकरण की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए संबंधित वरिष्ठ व्यक्तिगत सचिव को तुरंत सचिवालय प्रशासन को वापस सौंप दिया गया है। साथ ही, पत्र में यह निर्देश भी शामिल हैं कि आगे से ऐसी किसी भी गतिविधि या सोशल मीडिया संबंधी व्यवहार की दोहराव न हो। इसके लिए प्रशासनिक विभाग से संबंधित कर्मी को सख्त चेतावनी जारी करने का आग्रह किया गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सचिवालय प्रशासन इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए आगे की जांच और कार्रवाई पर विचार कर रहा है। यह घटना एक बार फिर इस मुद्दे पर बहस छेड़ती है कि क्या सोशल मीडिया की लोकप्रियता की लालसा में सरकारी जिम्मेदारियों और मर्यादाओं को अनदेखा किया जा सकता है। हालांकि, इस बीच यह अफवाह भी फैल रही है कि क्या इस कार्रवाई का आधार केवल यही घटना है या इसके पीछे कोई अन्य कारण भी हैं ?

