उत्तराखंड विधानसभा में नियुक्तियों को लेकर फिर हल्ला, क्या हर सरकार की तरह इस सरकार में भी होंगी अपनों की नियुक्तिया ?
देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा में हर बार नियुक्तियों का खेल होता रहा है राज्य में पहली अंतरिम सरकार हो या फिर उसके बाद आई तमाम सरकारें सब में नियुक्तियों का खेल जमकर होता रहा है हालात यह रहे पदों पर नेताओं पत्रकारों समेत तमाम लोगों के रिश्तेदार नौकरी पर रखे गए ऐसे ही हाल हर सरकार में दिखाई दिए हर सरकार पर पदों की रेवडी बाँटने के आरोप हमेशा से लगे रहते हैं पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में तो नियुक्तियों का मामला कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गया था हालांकि अभी तक उस मामले में भी कोई फैसला नहीं हुआ है और जिनकी नियुक्ति कांग्रेस सरकार में हुई वह अभी भी विधानसभा में कार्यरत हैं।
अंतरिम सरकार में संविदा पर लोगों को विधानसभा के कामकाज को करने के लिए रखा गया जिसके बाद तदर्थ में भी लोगो को रखा गया जिन्हे बाद में रेगुलर कर दिया गया हैं वही कांग्रेस सरकार में विधानसभा में नियुक्ति का मामला कोर्ट में गया था जो पेंडिंग पड़ा हैं।
वही भाजपा की वर्तमान सरकार के दौरान पूरे कार्यकाल में नियुक्तियों को लेकर कोई हो हल्ला नजर नहीं आया यहां तक कि विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भी इसको लेकर बेहद गंभीरता से काम किया ताकि आरोप ना लग जाए त्रिवेंद्र सरकार के दौरान कैबिनेट में यह फैसला भी कर दिया गया था की विधानसभा में जो भी नियुक्तियां की जाए उसे अधीनस्थ सेवा चयन आयोग या लोक सेवा आयोग के माध्यम से कराई जाए।
इसी बीच चुनावी आचार संहिता लग गई और नियुक्तियों का कोई हो हल्ला नहीं बचा लेकिन अब एकाएक राजनीतिक गलियारे में हल्ला मचने लगा है की उत्तराखंड विधानसभा में नियुक्तियों को लेकर कोई फैसला लिया गया है वही सूत्रों के हवाले से कहने वाले तो यह भी कह रहें है कि विधानसभा में एजेंसी के माध्यम से नियुक्ति करने का किसी तरह का फैसला लिया गया हैं हलाकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
विधानसभा स्तर पर कोई भी इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है साफ है पूरे कार्यकाल में साफ छवि के विधानसभा अध्यक्ष के रूप में प्रेमचंद अग्रवाल ने अपनी इमेज बनाई है ऐसे में सभी को उम्मीद है कि वह ऐसा कोई काम विधानसभा में नहीं होने देंगे।