उत्तराखंड में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन: सुरंग खोदकर लौट गई ‘शक्ति’, इसी महीने के अंत तक ‘शिव’ की भी हो जाएगी विदाई…….

ऋषिकेश: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन में सुरंगों की खोदाई अत्याधुनिक तकनीक टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) से की गई है। टीबीएम से खोदाई के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली दो मशीनों को शिव और शक्ति का नाम दिया गया था।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के दो प्रमुख योद्धाओं शिव और शक्ति ने अपना कार्य पूर्ण कर लिया है। कार्य पूर्ण होने के बाद शक्ति पलवल हरियाणा लौट गई है, और इसी महीने के अंत तक ‘शिव’ भी लौट जाएगी। आरवीएनएल और एलएंडटी के अधिकारियों व कर्मियों ने सम्मान के साथ शक्ति की विदाई की। इसे डिस्मेंटल कर भेजा गया है। वहीं देवप्रयाग से जनासू तक सबसे लंबी सुरंग की खोदाई भी एलएंडटी कर रही है।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की सबसे बड़ी और एकमात्र डबल ट्यूब सुरंग देवप्रयाग (सौड़) से जनासू (14.5 किमी लंबी) का कार्य पूर्ण हो गया है। इन सुरंगों की खोदाई अत्याधुनिक तकनीक टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) से किया गया। दोनों सुरंगों की कुल 29 किमी लंबाई में से 21 किमी लंबाई में खोदाई टीबीएम से तथा शेष आठ किमी सुरंग की खोदाई न्यू आस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) से की गई। टीबीएम से खोदाई के लिए प्रयोग में लाए जाने वाली दो मशीनों को शिव और शक्ति का नाम दिया गया था।

शक्ति ने 16 दिसंबर 2022 को और शिव ने एक मार्च 2023 को खोदाई का कार्य शुरू किया था। शक्ति ने 10.479 किमी तथा शिव ने 10.29 किमी की खोदाई की। शक्ति ने 16 अप्रैल 2025 व शिव ने 29 जून 2025 को अपना कार्य पूर्ण कर लिया था। रविवार को शक्ति मशीन को पूरे सम्मान के साथ वापस पलवल हरियाणा भेजा गया। आरवीएनएल के अधिकारियों का कहना है कि इसी माह के अंत तक शिव को भी वापस भेज दिया जाएगा।

सबसे तेजी से कार्य करने का है विश्व रिकॉर्ड
शक्ति मशीन का सबसे तेजी से कार्य करने का विश्व रिकॉर्ड है। आरवीएनएल के उप महाप्रबंधक सिविल ओपी मालगुड़ी ने बताया कि शक्ति ने एक दिन में रिकॉर्ड 42 मीटर की खोदाई की थी। जबकि सामान्य तौर पर खोदाई की गति 3 से 4 मीटर प्रतिदिन होती है। शक्ति ने एक माह में रिकॉर्ड 790 मीटर खोदाई की थी। शक्ति के यह दोनों विश्व रिकॉर्ड हैं।

टीबीएम को लाने में कई मुश्किलों का करना पड़ा था सामना
देवप्रयाग से जनासू सुरंग की कटिंग के लिए टीबीएम मशीन को यहां लाने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। शक्ति मशीन करीब 120 मीटर लंबी है। इसका अगला हिस्सा जिसमें कटर लगा हुआ है, वह सबसे भारी 168 टन का है। वजनी मशीन के पार्ट्स को मुंद्रा बंदरगाह से पहाड़ी क्षेत्र की संकरी सड़कों व पुराने पुलों से कार्यस्थल तक लाया गया। आरवीएनएल के अधिकारियों ने बताया कि जब मशीनों को लाया जा रहा था, तो इससे पहले देवप्रयाग में गंगा नदी पर बने पुल की भार वहन क्षमता का टेस्ट लिया गया था जिससे यह स्पष्ट हो सके कि इतनी भारी मशीनें पुल से गुजर सकती हैं कि नहीं। टेस्ट में सफलता मिलने पर मशीनों को पुल से गुजारा गया था।

शिव और शक्ति ने अपना कार्य पूर्ण कर लिया है। शक्ति मशीन रविवार को वापस पलवल हरियाणा भेज दी गई है। इसी माह के अंत तक शिव भी वापस भेज दी

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