उत्तराखंड में पंचायत चुनाव तो कराएंगे लेकिन अपने गांव का प्रधान नहीं चुन पाएंगे, जानिए क्या है वजह……….
देहरादून: राजस्थान राज्य निर्वाचन आयोग वर्ष 2009 से पंचायत चुनाव में लगे हुए कर्मचारियों को यह सुविधा देता आ रहा है। लेकिन उत्तराखंड राज्य स्थापना के बाद से आज तक यहां पंचायत चुनाव में डाक मतपत्र की सुविधा शुरू नहीं हो पाई।
उत्तराखंड के 40 हजार से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी पंचायत चुनाव तो कराएंगे लेकिन अपने गांव का प्रधान नहीं चुन पाएंगे। इस बार भी पंचायत चुनाव में इन कर्मचारियों को डाक मतपत्र की सुविधा नहीं मिल सकेगी।
राज्य के विधानसभा, लोकसभा चुनावों में ड्यूटी करने वाले पुलिस, सरकारी कर्मचारी, अधिकारी, अर्द्धसैनिक सुरक्षा बलों, सेना के जवानों को डाक मतपत्र(पोस्टल बैलेट) की सुविधा मिलती है। राजस्थान राज्य निर्वाचन आयोग वर्ष 2009 से पंचायत चुनाव में लगे हुए कर्मचारियों को यह सुविधा देता आ रहा है। लेकिन उत्तराखंड राज्य स्थापना के बाद से आज तक यहां पंचायत चुनाव में डाक मतपत्र की सुविधा शुरू नहीं हो पाई।
इस बार राज्य के चुनाव में 11,849 पीठासीन अधिकारी, 47,910 मतदान अधिकारी, 450 सेक्टर, जोनल मजिस्ट्रेट व नोडल अधिकारी, 35,700 सुरक्षा कर्मी मिलाकर 95,909 अधिकारी कर्मचारी ड्यूटी देंगे। इसी प्रकार 2278 भारी और 3342 हल्के वाहन मिलाकर 5620 वाहन लगाए जाएंगे। इस प्रकार कुल एक लाख से अधिक लोग इस पंचायत चुनाव में शामिल होने जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि इनमें से करीब 40,000 अधिकारी, कर्मचारी, चालक ऐसे हैं, जिनके वोट ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में हैं। डाक मतपत्र की सुविधा न होने के कारण ये अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाएंगे।
राज्य के इतिहास में अभी तक पंचायत चुनाव में डाक मतपत्र की सुविधा नहीं दी गई। आसपास के राज्यों में भी डाक मतपत्र की सुविधा नहीं है। इसलिए इन कर्मचारियों को मताधिकार का प्रयोग करने का मौका नहीं मिल पाएगा। -राहुल कुमार गोयल, सचिव, राज्य निर्वाचन आयोग।