अब चीन सीमा पर होगा सैर-सपाटा, उत्तराखंड में सेना ने बनाया होम स्टे, इस गांव को सौंपी कमान……..

देहरादून: इस रूट पर आधा दर्जन गांवों की रोजी-रोटी पर्यटन पर टिकी है। सेना के इस कदम से उन्हें सीधा फायदा होगा। स्थानीय लोग फौज को जरूरत पड़ने पर मदद तो पहुंचाते ही हैं, हमेशा से उनका आंख और कान भी हैं।

उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के बॉर्डर गांव गरब्यांग में भारतीय सेना ने टेंट बेस्ड होम स्टे बनाए हैं. ये गांव चीन और नेपाल की सीमा से सटा है. यहीं से कैलाश पर्वत, लिपुलेख पास, ओम पर्वत और आदि कैलाश का रास्ता जाता है. सेना ने इन होम स्टे को स्थानीय समिति को सौंप दिया है, जिससे ग्रामीण अब खुद पर्यटन का संचालन कर सकेंगे. यह कदम न सिर्फ सीमांत पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि लोगों को आजीविका भी प्रदान करेगा।

सेना की इस पहल का उद्देश्य केवल पर्यटन नहीं बल्कि सीमा सुरक्षा को भी मजबूत करना है. बॉर्डर इलाकों में स्थानीय लोगों की मौजूदगी बेहद अहम मानी जाती है. वे न सिर्फ सेना की आंख और कान बनते हैं, बल्कि जरूरत पड़ने पर सहयोग भी करते हैं. इन होम स्टे के जरिए गांवों में रौनक लौटेगी, जिससे ‘घोस्ट विलेज’ के रूप में खाली हो चुके इलाके फिर से बस सकेंगे।

गरब्यांग को ‘शिवनगरी गुंजी का प्रवेश द्वार’ कहा जाता है. यहां से गुजरने वाले श्रद्धालु और ट्रैकर अब इन नए होम स्टे में ठहर सकेंगे. ये जगह हिमालय की बर्फीली चोटियों और सुंदर वादियों के बीच बसी है. साहसिक पर्यटन प्रेमियों के लिए यह एक नया आकर्षण केंद्र बनेगा. स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक भोजन और पहाड़ी जीवन का अनुभव इन टेंट्स में सैलानियों को मिलेगा।

सेना द्वारा सौंपे गए इन होम स्टे से ग्रामीणों को सीधा रोजगार मिलेगा. ग्रामीण समिति इनकी बुकिंग और संचालन करेगी. एक होम स्टे की दर 1000 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति रात तय की गई है, जिसमें स्थानीय भोजन भी शामिल है. इससे न केवल आर्थिक विकास होगा बल्कि युवा पीढ़ी भी अपने गांवों की ओर लौटेगी. यह पहल आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था का उदाहरण बन सकती है।

गरब्यांग में सेना का होम स्टे मॉडल पर्यटन, संस्कृति और देशभक्ति का अद्भुत संगम पेश करता है. यहां आने वाला हर पर्यटक न सिर्फ हिमालय की प्राकृतिक सुंदरता देखेगा बल्कि सीमा पर बसे भारतीय गांवों की जीवंतता का अनुभव भी करेगा. इस पहल से सीमांत इलाकों में पर्यटन को नई पहचान मिलेगी और सीमा सुरक्षा को भी स्थानीय सहयोग का नया आयाम हासिल होगा।

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