उत्तराखंड में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति फर्जीवाड़ा: एसआईटी ने शुरू की जांच, सभी कप्तानों से तीन दिन में कार्ययोजना मांगी……..

देहरादून: केंद्र सरकार के अधिकारियों ने उत्तराखंड अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को छात्रवृत्ति में गड़बड़ी की जानकारी दी थी। छात्रवृत्ति के लिए 92 संस्थाओं ने दस्तावेज जमा किए थे।

अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति फर्जीवाड़े में एसआईटी ने जांच शुरू कर दी है। एसआईटी प्रभारी आईजी कानून व्यवस्था डॉ. नीलेश आनंद भरणे ने बुधवार को पहली बैठक की। उन्होंने एसआईटी मे शामिल देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, रुद्रप्रयाग और नैनीताल जिलों पुलिस प्रभारियों (कप्तानों) को तीन दिन के भीतर प्राथमिक जांच कर कार्ययोजना मांगी है। इस कार्ययोजना के आधार पर ही फर्जीवाड़े की अग्रिम जांच की जानी है।

केंद्र सरकार के अधिकारियों ने उत्तराखंड अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को छात्रवृत्ति में गड़बड़ी की जानकारी दी थी। छात्रवृत्ति के लिए 92 संस्थाओं ने दस्तावेज जमा किए थे। ये संस्थाएं राष्ट्रीय छात्रवृति पोर्टल पर अपने आप को पंजीकृत कराती है और छात्रवृति सीधे बेनफिशिल के बैंक खातों में आती है। इनमें से 17 संस्थाओं की भूमिका संदेहजनक पाई गई। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से सत्यापन कराने के लिए कहा गया था।

इनमें उधम सिंह नगर जिले में किच्छा के सरस्वती शिशु मंदिर हाई स्कूल का भी जिक्र किया गया। इसके संचालक मोहम्मद शरिक और अतीक बताए गए जबकि जांच में इस नाम का कोई विद्यालय ही नहीं मिला। जो सरस्वती शिशु मंदिर है वहां पर माध्यमिक विद्यालय है और विद्या भारती इसे संचालित कर रही है।

इसी तरह रुद्रप्रयाग के वासुकेदार संस्कृत महाविद्यालय का जिक्र था जिसके संचालक नसरुद्दीन नाम का व्यक्ति बताया गया। इस में पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले की रहने वाली छात्राओं के दस्तावेज जमा पाए गा। इसी तरह नैनीताल के नवीन शिशु जूनियर हाईस्कूल और प्रतिभा विकास जूनियर हाईस्कूल का नाम भी सामने आया। रुड़की के संस्कृति पब्लिक स्कूल के 85 छात्रों के नाम भी संदेह में आए।

इसके लिए मुख्यमंत्री ने जुलाई महीने में एसआईटी गठन के आदेश दिए। आईजी कानून व्यवस्था डॉ. नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि सभी पांच जिलों के पुलिस कप्तानों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस मामले की तीन दिनों के भीतर प्राथमिक जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंप दें। ताकि कार्ययोजना बनाकर आगे की कार्रवाई की जा सके।

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