आज “कैले बजै मुरूली” जब भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी ने गाया सुर सम्राट गोपाल बाबू गोस्वामी का ये गीत सुनिए….

देहरादून: उत्तराखंड के सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी ने अपनी गीतों से लोगों के दिलों पर राज किया। कई दर्शकों तक स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी ने उत्तराखंड के संगीत को आगे बढ़ाने का काम किया। आज युवा पीढ़ी उन्हीं के गीतों को गा रही है। सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी एक बड़े लोकगायक के तौर पर जाने जाते है। उत्तराखंड ही नहीं बाॅलीवुड ने भी उनका लोहा माना।

आज कई हिन्दी फिल्मों में उनके गीतों की धुन सुनाई देती है। अब दिल्ली के सासंद मनोज तिवारी ने इगास पर्व के अवसर पर सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी का गीत कैले बजै मुरूली गाकर लोगों का दिल जीत लिया। इससे पहल मैथिली ठाकुर ने उनका गीत सुवा रे सुवा आकर लोगों को पुराने गीतों को जिंदा रखने का संदेश है। इस गीत को लाखों व्यूज मिले।

मनोज तिवारी ने गाया कैले बजै मुरूली
अब भोजपुरी स्टार और दिल्ली के भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने इगास पर्व पर उत्तराखंड के सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी के गीत से लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान प्रदेश के कई नेता कार्यक्रम मंे मौजूद रहे। सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी ने उत्तराखंड को कई सुपरहिट गीत दिये। उन्होंने उत्तराखंड के संगीत को एक बड़े मुकाम पर पहुंचाया। सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी के सुपुत्र लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी ने बताया कि उनके पिता के गीतों को सुनकर बाॅलीवुड ने उन्हें गाने का न्यौता दिया था, लेकिन अपनी संस्कृति के लिए उन्होंने यह आॅफर ठुकरा दिया।

वहीं तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी के गीतों से प्रभावित हुई थी। जिसके बाद उन्होंने एक पत्र लिखकर सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी की तारीफ की, जो कि आज उनके परिवार के पास मौजूद है। पिता की विरासत संभाल रहा बेटा

सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी के बेटे उत्तराखंड के सुपरस्टार लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी आज अपने पिता की विरासत को संभाले हुए है। पिता की तरह ही उनके गीतों के भी लोग दिवाने है। अपने पिता जी के गोपुलि गाने से रमेश बाबू गोस्वामी ने ऐसा धमाल मचाया कि फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक सुपरहिट गीत दिये। सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी के आवाज की पूरी काॅपी उनके बेटे रमेश बाबू गोस्वामी पर दिखती है।

पिता से पुत्र की आवाज पूरी तरह से मिलती-जुलती है। लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी भी अपनी पिता की विरासत को बढ़ाने मंे हमेशा लगे रहते है। चांदीखेत चैखुटियां में हर साल 2 फरवरी को गोपाल बाबू गोस्वामी का जन्मदिवस उनके परिवार द्वारा मनाया जाता है। जिसमें उत्तराखंड के कई बड़े कलाकार शिरकत करते है।

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