कैलाशानंद गिरि बने श्रीनिरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर, अखाडे की करोड़ों की संपत्ति को सरंक्षित करने की रुपरेखा तैयार, बड़े बदलाव होने के आसार।

हरिद्वार :  श्री निरंजनी अखाड़ा ने देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी संपत्ति को संरक्षित करने के लिए प्रारूप तैयार कर लिया है। जुलाई-अगस्त तक अखाड़े के  मठ, मंदिर, आश्रम और जमीन की देखरेख करने वालों की जिम्मेदारी में बदलाव किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड में स्थित अखाड़े के मठ, मंदिर व आश्रमों में तीन साल से रहकर व्यवस्था देखने वाले महात्माओं का क्षेत्र बदला जाएगा। हर जगह नए महात्माओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यह निर्णय अखाड़े के सचिव तथा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का उनके शिष्य आनंद गिरि से विवाद के मद्देनजर लिया गया है। आनंद गिरि का आरोप है कि महंत नरेंद्र गिरि ने जमीन बेची है। इसके बाद अखाड़े ने कार्यप्रणाली की समीक्षा का निर्णय लिया है।

हरिद्वार कुंभ में कैलाशानंद गिरि श्रीनिरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर बनाए गए हैैं। इसके बाद से ही बदलाव होने की सुगबुगाहट चल रही है। श्रीनिरंजनी अखाड़ा की संपत्ति करोड़ों रुपये कीमती है। हरिद्वार स्थित मुख्यालय के अधीन दर्जनभर मठ-मंदिर हैं। कुंभनगरी उज्जैन व ओंकारेश्वर में ढाई सौ बीघा जमीन, आधा दर्जन मठ और दर्जनभर आश्रम हैं। कुंभनगरी नासिक में सौ बीघा से अधिक जमीन, दर्जनभर आश्रम व मंदिर है। बड़ोदरा, जयपुर, माउंटआबू में करीब सवा सौ बीघा जमीन, दर्जन भर मंदिर व आश्रम हैं। प्रयागराज में मांडा-मेजा में पांच एकड़ जमीन और दारागंज में बड़ा आश्रम तथा मंदिर है।

नोएडा में मंदिर तथा 50 बीघा जमीन है। वाराणसी में मंदिर और आश्रम के साथ जमीन है। कहीं भी जमीन, मठ व मंदिर न बिकने पाए इसे सुनिश्चित किए जाने की तैयारी की जाएगी।निरंजनी अखाड़ा अब महात्माओं की कार्यप्रणाली की समीक्षा भी करवा रहा है। संदिग्ध छवि वालों को अखाड़े से बाहर किया जाएगा। युवा, विद्वान, समर्पित व स्वच्छ छवि वाले महात्माओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। हरिद्वार स्थित मुख्यालय से प्रति सप्ताह सबके कार्यों की समीक्षा होगी। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संपर्क साधा जाएगा।निरंजनी अखाड़ा आनंद गिरि द्वारा जमीन बेचने के आरोप को औचित्यहीन मानता है। कहा जा रहा है कि अखाड़ा अव्वल तो कुछ बेचता नहीं और कहीं बेचता भी है तो उसी पैसे से दूसरी जगह जमीन खरीद मठ व मंदिर बनवाकर अखाड़े का विस्तार किया जाता है।

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