उत्तराखंड में IFS अधिकारी पर लगें भ्रष्टाचार के आरोप, विभाग नें कारण बताओं नोटिस किया ज़ारी………
देहरादून: भारतीय वन सेवा के अफसर विनय कुमार भार्गव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. मामला बिना टेंडर के कार्य आवंटन और बिना अनुमोदन के वन क्षेत्र में पक्के निर्माण समेत फायर लाइन के कार्यों को तय सीमा से अधिक करने से जुड़ा है. खास बात ये है कि इस पूरे प्रकरण का खुलासा IFS अफसर संजीव चतुर्वेदी की जांच से हुआ है. जिस पर अब शासन ने विनय भार्गव को जवाब के लिए 15 दिन का वक्त दिया गया है।
हालांकि, अभी प्रमुख सचिव आर के सुधांशु ने आईएफएस अधिकारी विनय कुमार भार्गव को कारण बताओ नोटिस दिया है। नोटिस में यह स्पष्ट किया गया है कि 15 दिनों के भीतर इसका संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, यह पूरा मामला 2011 से 2021 के बीच का है, जिसमें जांच के दौरान वित्तीय अनियमितताओं के तथ्य सामने आए हैं. बड़ी बात यह है कि यह मामला आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी सामने लाए हैं. यह प्रकरण दिसंबर 2024 में IFS संजीव चतुर्वेदी के माध्यम से प्रकाश में आया. उन्होंने इस प्रकरण में वन मुख्यालय से लेकर शासन तक को चिट्ठी लिखकर गड़बड़ियों की जानकारी दी है. खास बात यह है कि करीब 7 महीने पहले ही इस पर लिखित रूप से पत्राचार शुरू कर दिया गया था. मामले में शासन ने संज्ञान लेते हुए अब संबंधित अधिकारी को प्रकरण पर 15 दिन के भीतर जवाब देने के निर्देश दिए हैं।
तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी और मौजूदा कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट विनय भार्गव पर आरोप हैं कि उन्होंने बिना पूर्व स्वीकृति के 2019 में पिथौरागढ़ के वन विभाग में DFO रहते हुए कई पक्की संरचनाओं के कार्य करवाए. इसमें डोर मेट्री का निर्माण, वन कुटीर उत्पाद विक्रय केंद्र का निर्माण, 10 इको हट का निर्माण और ग्रोथ सेंटर का निर्माण शामिल हैं।
जांच में पाया गया कि निर्माण सामग्री के लिए बिना टेंडर और सक्षम स्वीकृति के निजी संस्था का चयन किया गया. साथ ही इस संस्था को एक मुश्त भुगतान भी कर दिया गया. इतना ही नहीं, बिना सक्षम अनुमोदन के एक डेवलपमेंट कमिटी मुनस्यारी के पर्यटन से प्राप्त होने वाली धनराशि का 70% भाग देने के लिए अनुबंध भी किया गया. खास बात यह थी कि उस समय पिथौरागढ़ में 10 फायर लाइन के अनुरक्षण और सफाई के काम को भी वर्किंग प्लान में तय सीमा से अधिक किया गया. 10 फायर लाइन जिसकी कुल लंबाई 14.6 किलोमीटर थी. उस पर काम करने की जगह 2020-21 में 90 किलोमीटर फायर लाइन पर ₹200000 खर्च कर दिए गए।
कार्य योजना की जिम्मेदारी देख रहे संजीव चतुर्वेदी ने इसे गंभीर भ्रष्टाचार बताते हुए दिसंबर 2024 में ही प्रमुख वन संरक्षक हॉफ को इस संदर्भ में पत्र लिखा. इसके बाद जनवरी 2025 में उन्होंने मामले को एक बार फिर प्रमुख वन संरक्षक हॉफ के सामने रखा. इसके बाद जनवरी में ही प्रमुख वन संरक्षक हॉफ ने उत्तराखंड शासन में वन विभाग देख रहे प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर इस पूरे प्रकरण की जानकारी दी. संबंधित अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने के संदर्भ में विचार करने का अनुरोध किया।
वहीं इस मामले में जब IFS अफसर संजीव चतुर्वेदी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह मामला उनके सामने आया था, जिसके बाद इसके लिए नियम अनुसार अग्रिम कार्रवाई की ग़ई थी. मामले में प्रमुख वन संरक्षक को पत्र लिखकर जानकारी दी गई थी।