उत्तराखंड में हाईकोर्ट ने सरकारी अस्पतालों की हालत पर सुनवाई, 250 करोड़ का प्रस्ताव सरकार के पास लंबित……
नैनीताल: उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्थाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण सुनवाई की। अदालत के समक्ष डीजी हेल्थ ने बताया कि भवाली सेनिटोरियम अस्पताल को मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल में अपग्रेड करने को लेकर शासन स्तर पर प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है।
250 करोड़ का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया।
सुनवाई के दौरान डीजी हेल्थ ने बताया कि अस्पताल के विस्तारीकरण के लिए डीपीआर तैयार कर ली गई है और 250 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया है। अदालत ने राज्य सरकार से एक सप्ताह के भीतर कार्य प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने जब पूछा कि नए अस्पताल की क्षमता कितनी होगी, तो डीजी हेल्थ ने बताया कि 200 बेड वाले अस्पताल का प्रस्ताव शासन को दिया गया है।
हॉस्पिटल और स्टाफ आवास के लिए अलग बजट।
डीजी हेल्थ ने कोर्ट को यह भी अवगत कराया कि अस्पताल निर्माण के लिए 160 करोड़ तथा स्टाफ आवास निर्माण के लिए 90 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है। भूमि सर्वेक्षण करने वाली एजेंसी ने निर्धारित स्थान को अस्पताल निर्माण के लिए उपयुक्त माना है।
बीडी पांडे और रामजे अस्पताल की स्थिति पर भी सवाल
सुनवाई के दौरान अदालत ने बीडी पांडे और रामजे अस्पताल की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी मांगी।
इस पर डीजी हेल्थ ने बताया कि बीडी पांडे अस्पताल की क्षमता 200 बेड की है, लेकिन अभी 120 बेड ही संचालित हो रहे हैं। वहीं, रामजे अस्पताल में मात्र 10 बेड उपलब्ध हैं।
कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिए कि कार्य में तेजी लाकर अस्पताल निर्माण जल्द प्रारंभ किया जाए।
याचिका में लगाए गए गंभीर आरोप
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि प्रदेश के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं।
स्टाफ की भारी कमी और कई उपकरणों के खराब होने के कारण मरीजों को मजबूरन बड़े चिकित्सा केंद्रों पर रेफर कर दिया जाता है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि कई अस्पताल इंडियन हेल्थ स्टैंडर्ड के मानकों पर खरे नहीं उतरते, इसलिए दूर-दराज से आने वाले मरीजों को बेहतर इलाज दिलाने के लिए अदालत से सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं को मजबूत करने का अनुरोध किया गया है।

