उत्तराखंड में 3300 मी. की ऊंचाई पर जहां से आया सैलाब, वहां से सामने आई पहली तस्वीर, SDRF ने ड्रोन से किया सर्वे…….

देहरादून: प्रारंभिक निरीक्षण में किसी भी प्रकार की कृत्रिम झील या जल अवरोधक की पुष्टि नहीं हुई है। क्षेत्र की भौगोलिक संवेदनशीलता को देखते हुए सतत निगरानी व मूल्यांकन किया जा रहा है।

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बन रही कृत्रिम झीलों के लिए प्रदेश सरकार सतर्क हो गई है। बृहस्पतिवार को राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) ने धराली गांव के ऊपरी क्षेत्रों में 3300 मीटर की ऊंचाई पर ड्रोन से कृत्रिम झीलों का सर्वे किया।

एसडीआरएफ के पुलिस महानिरीक्षक अरुण मोहन जोशी ने बताया कि धराली क्षेत्र में आई भीषण आपदा को देखते हुए एसडीआरएफ टीम को आपदा ग्रसित क्षेत्रों में भेजा गया है। धराली गांव में बादल फटने से आपदा आई है।

एसडीआरएफ ने लगभग 3300 मीटर की ऊंचाई तक ड्रोन की सहायता से कृत्रिम झील की निगरानी की है। ड्रोन से यह पता लगाने का प्रयास किया गया कि हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियर पिघलने के कारण कहीं कृत्रिम झील या जल अवरोध तो नहीं बन रहा है। जो भविष्य में दोबारा से आपदा का कारण बन सकता है।

प्रारंभिक निरीक्षण में किसी भी प्रकार की कृत्रिम झील या जल अवरोधक की पुष्टि नहीं हुई है। क्षेत्र की भौगोलिक संवेदनशीलता को देखते हुए सतत निगरानी व मूल्यांकन किया जा रहा है। एसडीआरएफ के तकनीकी निरीक्षण ने संभावित जोखिम की समय पर पहचान करने में भूमिका निभाई है।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *