उत्तराखंड में जौहड़ी क्षेत्र में निजी भूमि की आड़ में सरकारी भूमि कब्जाने का मामला, सीबीआई की एफआईआर पर ईडी ने की जांच, उद्योगपति विंडलास से जुड़ा है मामला……..

देहरादून: राजधानी के नामी उद्योगपति सुधीर विंडलास और उनके सहयोगियों के करोड़ों रुपये के जमीन फर्जीवाड़े में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सब जोनल कार्यालय देहरादून ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। ईडी ने देहरादून के नामी रेस्तरां फर्जी कैफे के संचालक गोपाल गोयनका की 2.20 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर ली। जांच में पाया गया कि गोपाल गोयनका ने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से जौहड़ी गांव, देहरादून की लगभग 2 हेक्टेयर सरकारी भूमि को धोखाधड़ी कर निजी व्यक्तियों को बेच दिया। इसके लिए राजस्व अभिलेखों (जिल्द, खतौनी और खसरा) में हेरफेर की गई। रिकॉर्ड में जमीन के क्षेत्रफल को काटकर, ऊपर से नया आंकड़ा लिखकर सरकारी जमीन को निजी संपत्ति के रूप में दिखाया गया।

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि इस जमीन की बिक्री से गोपाल गोयनका ने अवैध कमाई की और इस धनराशि का इस्तेमाल आगे और संपत्तियां खरीदने में किया। प्रारंभिक रूप से यह जांच सीबीआई, देहरादून द्वारा दर्ज एफआईआर पर आधारित है। सीबीआई ने एफआईआर में विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि निजी व्यक्तियों ने सरकारी राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी जमीन पर कब्जा कर उसे बेच डाला।

जिसमें अब ईडी सुधीर विंडलास और उनके सहयोगियों के विरुद्ध कड़ी दर कड़ी कार्रवाई कर रही है। ईडी ने साफ किया है कि जांच अभी जारी है, और भविष्य में और संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इससे पहले ईडी ने कैफे संचालक को तलब करते हुए जमीन फर्जीवाड़े से जुड़े तमाम सवाल किए थे और अपनी जांच को आगे बढ़ाया।

यह मामला राजपुर के जौहड़ी/पुरकुल क्षेत्र में 02 हेक्टेयर सरकारी भूमि कब्जाने और अन्य फर्जीवाड़े से जुड़ा है। जिसमें पुलिस ने चार मुकदमे दर्ज किए थे, जिन्हें अक्टूबर 2022 में सीबीआइ को ट्रांसफर किया गया। इस मामले में उद्योगपति सुधीर विंडलास और कैफे संचालक गोपाल गोयनका समेत 20 को आरोपी बनाया गया है और कइयों की पूर्व में गिरफ्तारी भी की जा चुकी है।

ईडी ने चारों एफआइआर के आधार पर मनी लांड्रिंग एक्ट में जांच शुरू करते हुए फर्जीवाड़े से जुड़े आरोपियों की कुंडली खंगालनी शुरू की। ईडी सूत्रों के मुताबिक अहम प्रकरण राजपुर के जौहड़ी क्षेत्र में 02 हेक्टेयर सरकारी भूमि कब्जाने से जुड़ा है। आरोपियों ने 02 विक्रय विलेख (सेल डीड) के आधार पर आधा-आधा हेक्टेयर भूमि खरीदी और उससे लगती हुई सरकारी जमीन कब्जा ली। अब यह पूरी जमीन ईडी के कब्जे में है।

इसके अलावा भी अन्य भूमि फर्जीवाड़े किए गए हैं। जिनमें राजस्व विभाग के कार्मिकों के साथ मिलीभगत कर जमीनों को अपने नाम चढ़वा लिया। जमीन फर्जीवाड़े में सुधीर विंडलास के साथ गोपाल गोयनका की भूमिका पाए जाने पर पूछताछ के लिए बुलाया गया। इससे पहले भी ईडी एक दफा गोपाल गोयनका को तलब कर चुकी। ईडी सूत्रों के अनुसार गोपाल गोयनका से तमाम सवाल किए गए, जिनमें से उसने कई सवालों के गोलमोल जवाब भी दिए।

इस मामले में ईडी पूर्व में जमीन कब्जाने, उन्हें फर्जी दस्तावेजों से अपने नाम पर चढाने के मामले में तत्कालीन राजस्व उपनिरीक्षक, नायब तहसीलदार और तहसीलदार से भी पूछताछ की जा चुकी है। बताया जा रहा है कि सरकारी कार्मिकों ने भी आरोपियों के मिलीभगत कर धोखाधड़ी से जमीन अपने नाम पर दर्ज करवाने के बयान दिए थे। जिसके बाद ईडी ने जमीन अटैचमेंट की इस कार्रवाई अंजाम दिया।

जमीन फर्जीवाड़े की पूरी तस्वीर, जानिए क्या हैं आरोप
उद्योगपति सुधीर विंडलास और उनके सहयोगियों पर जमीन कब्जाने और धोखाधड़ी कर बेचने का पहला मामला राजपुर थाने में वर्ष 2018 में दर्ज किया गया। यह मामला राजपुर निवासी दुर्गेश गौतम की ओर से एसआइटी (भूमि) को दी गई शिकायत के क्रम में दर्ज किया गया। दुर्गेश का आरोप है कि सुधीर विंडलास ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर राजपुर के जौहड़ी क्षेत्र में एक हेक्टेयर सरकारी भूमि कब्जाकर अपने नाम दर्ज कराई है।

इसके बाद दूसरा मुदकमा 09 जनवरी 2022 को दून पैरामेडिकल कालेज के संचालक संजय सिंह चौधरी ने दर्ज कराया। उनका आरोप है कि आरोपितों ने जोहड़ी गांव स्थित उनकी जमीन को फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से बेच दिया। तीसरा मुकदमा 13 जनवरी 2022 को ले. कर्नल सोबन सिंह दानू (रिटा.) ने कराया। उनका आरोप है कि सरकार से जो जमीन उन्हें जोहड़ी गांव में आवंटित की गई थी, उसे आरोपितों ने कब्जा लिया। वहीं, चौथा मुकदमा 25 जनवरी 2022 को दर्ज किया गया। यह मुकदमा भी दून पैरामेडिकल कालेज के संचालक संजय सिंह चौधरी ने दर्ज कराया

देहरादून जैसे शहर में सरकारी जमीन को फर्जीवाड़े से बेचने का मामला कई सवाल खड़े करता है। राजस्व विभाग की मिलीभगत के बिना इस तरह की हेराफेरी संभव नहीं मानी जा सकती। अब निगाहें आगे की ईडी कार्रवाई और संभावित गिरफ्तारियों पर टिकी हैं। यह मामला भी प्रदेश में जमीन घोटालों और राजस्व अधिकारियों की सांठगांठ का बड़ा उदाहरण माना जा रहा है।

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