उत्तराखंड में चमोली जिला प्रशासन की 17 सदस्यीय टीम बाड़ाहोती रवाना, एक हफ्ते करेगी निरीक्षण……..

चमोली: सीमा क्षेत्र में सेना और आईटीबीपी की समस्या, सड़क, संचार जैसी समस्याओं के साथ ही अन्य गतिविधियों के निरीक्षण के लिए प्रतिवर्ष जिला प्रशासन की टीम बाड़होती क्षेत्र में जाती है।

चमोली जिला प्रशासन की 17 सदस्यीय टीम चीन सीमा क्षेत्र के बाड़ाहोती के लिए रवाना हो गई है। एक सप्ताह तक टीम बाड़ाहोती क्षेत्र का निरीक्षण कर लौटेगी। टीम क्षेत्र में पड़ोसी देश की गतिविधियों पर भी नजर रखेगी। टीम मलारी से आगे निकल गई है।

चमोली जिले से लगा बाड़ाहोती क्षेत्र 1.5 वर्ग मीटर में फैला एक समतल मैदान है। सीमा क्षेत्र में सेना और आईटीबीपी की समस्या, सड़क, संचार जैसी समस्याओं के साथ ही अन्य गतिविधियों के निरीक्षण के लिए प्रतिवर्ष जिला प्रशासन की टीम बाड़ाहोती क्षेत्र में जाती है।

सालभर में अलग-अलग टीमें चार बार सीमा क्षेत्र के निरीक्षण के लिए जाती हैं। 14 जुलाई को प्रशासन की 17 सदस्यीय टीम ज्योतिर्मठ से बाड़ाहोती के लिए रवाना हुई। यह इस साल की दूसरी टीम है। टीम में शामिल सदस्यों का सीमा क्षेत्र में जाने से पहले स्वास्थ्य परीक्षण भी होता है। बताया गया कि टीम मलारी से आगे के लिए रवाना हो गई है। सीमा क्षेत्र में टीम आईटीबीपी की निगरानी में रहती है। यह टीम 21 जुलाई को लौटेगी।

बाड़ाहोती में बार-बार घुसपैठ करता है चीन
जब भारत-तिब्बत सीमा पर व्यापार सुगमता से होता था तो वर्ष 1959 में चीन ने उत्तराखंड से लगी सीमा पर भी अपनी धमक दिखानी शुरू कर दी थी। इसका प्रतिफल यह रहा कि वर्ष 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ जिससे भारत-तिब्बत व्यापार पूर्ण रूप से बंद हो गया।

युद्ध से पहले भारत और तिब्बत व्यापार की सबसे बढ़ी मंडी बाड़ाहोती थी। इस स्थान को भी चीन अपनी सीमा बताने का हमेशा प्रयास करता है और यहां घुसपैठ करता है। बाड़ाहोती बुग्याल करीब 10 किमी से अधिक है। बाड़ाहोती क्षेत्र में होतीगाड बहती है जो निचले क्षेत्र में आकर धौली गंगा में मिल जाती है और विष्णुप्रयाग में अलकनंदा में विलय हो जाती है।

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