उत्तराखंड के धराली में 06 किलोमीटर की ऊंचाई से गोली की तरह निकली तबाही, खीर गंगा के साथ उफान पर आए 05 गदेरे…….
उत्तरकाशी: उत्तरकाशी के धराली गांव को तबाह करने वाली 05 अगस्त 2025 की जलप्रलय कितनी भीषण थी, इसका विश्लेषण भूविज्ञानी प्रो. एमपीएस बिष्ट ने किया है। उन्होंने तबाही का जरिया बनी खीर गंगा/गाड़ के उद्गम स्थल श्रीकंठ पर्वत के सेटेलाइट चित्रों के साथ ही पर्वत के बेस से लौटी एसडीआरएफ और निम की टीम के ड्रोन विजुअल्स का भी अध्ययन किया। जिसके माध्यम से उन्होंने न सिर्फ श्रीकंठ पर्वत और उससे जुड़े गाड़/गदेरों का अध्ययन किया, बल्कि यह भी बताया कि जलप्रलय कितनी विकराल थी।
एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. एमपीएस बिष्ट के अध्ययन से साफ होता है कि जलप्रलय ने न सिर्फ खीर गंगा को अपना रास्ता बनाया, बल्कि हर्षिल क्षेत्र के तिलगाड़ और अन्य चार गदेरों में भी अपने गहरे निशान छोड़े। धराली में खीर गंगा तट पर पूरा गांव बसा था, लिहाजा यहां सर्वाधिक नुकसान हुआ। यूं कहें कि पूरा गांव ही तबाह हो गया। हर्षिल में तिलगाड़ और भागीरथी के जुड़ाव बिंदु पर आर्मी कैंप था और वह भी इसकी जद में आ गया। दोनों जगह आम नागरिकों के साथ ही सेना के जवानों को मिलाकर 70 से 78 के बीच जन हानि (अब तक की जानकारी के अनुसार) हुई है।
उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के पूर्व निदेशक और एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. एमपीएस बिष्ट के अध्ययन के अनुसार श्रीकंठ पर्वत (6133 मीटर) से धराली (648 मीटर) के बीच करीब 5485 मीटर का अंतर है। यह अंतर खीर गंगा के संकरे कैचमेंट क्षेत्र में तीव्र ढाल के रूप में है। इस घाटी के दोनों तरफ ग्रेनाइट की मजबूत चट्टानें हैं।
श्रीकंठ पर्वत के इस भाग से निकली जलप्रलय ने तबाह किया धराली को।
ऊपरी क्षेत्र में पहले से भारी मलबा जमा था। इसके साथ ही विभिन्न समय पर आए एवलांच के कारण भी जगह जगह हजारों टन मलबे के ढेर थे। जिसमें भारी बोल्डर भी शामिल थे। 05 अगस्त को धराली पर जब जलप्रलय टूटी, उससे पहले श्रीकंठ पर्वत क्षेत्र में अतिवृष्टि हुई। अत्यधिक पानी की स्थिति में जब ऊपरी क्षेत्र से मलबा खिसका तो घाटी में दोनों तरफ मजबूत चट्टान होने के चलते उसका फैलाव नहीं हो पाया। ढाल अधिक होने के कारण वेग बढ़ता चला गया। तीव्र वेग के साथ जलप्रलय ने ऊपरी क्षेत्र के मलबे के साथ ही राह में मौजूद मलबे को भी समेटा और धराली को जमींदोज कर दिया।
श्रीकंठ से 05 जगह और निकली जलप्रलय
भूविज्ञानी प्रो. एमपीएस बिष्ट ने धराली के साथ ही इससे जुड़े क्षेत्रों में मची तबाही का भी मैप तैयार किया है। उन्हों पाया कि श्रीकंठ पर्वत से खीर गाड़ के अलावा पांच गाड़/गदेरों का कनेक्शन है। इसमें लिमचा गाड़, तिलगाड़, हर्त्या गाड़, बेला गाड़ और लोध गाड़ शामिल हैं। इन सभी जगह साथ साथ या कुछ अंतराल पर पानी के साथ भारी मलबा आया है। यदि कहीं ग्लेशियर झील फटी होती तो उसका वेग गाड़ में ही नजर आता। ऊपरी क्षेत्र में अतिवृष्टि से ही श्रीकंठ से जुड़े गदेरों/गाड़ में इस तरह के हालात पैदा हो सकते हैं।
हजारों टन जमा था मलबा, सटीक अनुमान मुश्किल
एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट के अनुसार आपदा से पूर्व खीर गंगा के अपर कैचमेंट और उद्गम स्थल पर हजारों टन मलबा जमा था। यह कितना था, इसका सटीक अनुमान मुश्किल है। हालांकि, जीपीआर और अन्य तकनीक से संबंधित क्षेत्र की अलग अलग मोटाई की पड़ताल कर इसका पता लगाया जा सकता है। हालांकि, मौजूदा हालात में यह किसी चुनौती से कम नहीं है।