जल्द पुनर्वास ना हुआ तो उत्तराखंड के इस गाँव के लोगो की कई राते जंगलो में ही गुजरेगी, जानिए क्या है कारण…..
चमोली : चमोली जिले के जुग्जू गांव के ऊपर इन दिनों रात को भूस्खलन होने पर ग्रामीणों को फिर जंगल में रात बितानी पड़ रही है । लंबे समय से जुग्जू गांव के ऊपर भूस्खलन हो रहा है जिससे हर बार भूस्खलन होने पर गांव के लोग जान बचाने के लिए जंगल की गुफाओं में चले जाते हैं और भूस्खलन रुकने पर वापस घरों को लौट आते हैं।
क्षेत्र में भारी बारिश होने से फिर भूस्खलन सक्रिय हो गया, जिस कारण ग्रामीणों ने अनहोनी की आशंका को देखते हुए अपने घरों को छोड़ दिया और जंगल की ओर चले गए। उन्होंने गुफाओं में रात बिताई। क्षेत्र पंचायत सदस्य संग्राम सिंह ने कहा कि आखिर कब तक लोग इस तरह खौफ में रहेंगे और बार-बार जंगल में जाकर गुफा में रात बिताएंगे। उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द गांव के पुनर्वास की मांग की ताकि लोगों को इस भय से मुक्ति मिल सके।
अपने मकान छोड़ दूसरों के घरों में रहे 18 परिवार
तुंगनाथ घाटी की ग्राम पंचायत दैड़ा के पापड़ी तोक के 18 परिवार जर्जर मकानों मेें रहने को मजबूर हैं। विस्थापन सूची में शामिल इन परिवारों के मकान, गोशाला, रास्ते व खेत दरारों से पटे हुए हैं। प्रभावितों ने शासन, प्रशासन से पुनर्वास की मांग की है। पापड़ी तोक लंबे समय से भूधंसाव से प्रभावित है। यहां जगह-जगह दरारें पड़ी हुई हैं।
प्रशासन ने बीते वर्ष यहां रह रहे 18 परिवारों को विस्थापन की सूची में शामिल किया था। इसके बाद, इन परिवारों के पुनर्वास के लिए प्रशासन द्वारा चाकुलधार व सुरईधार में भूमि चिह्नित कर भू-गर्भीय सर्वेक्षण भी किया गया लेकिन यह भूमि किसी भी प्रकार के निर्माण व आवास के लिए उपयुक्त नहीं पाई गई। दूसरी तरफ प्रभावित परिवारों ने स्वयं के प्रयास से अपने लिए अन्यत्र भूमि चयन कर भू-गर्भीय सर्वेक्षण भी करा दिया गया है।
लेकिन जब तक शेष 12 परिवारों के लिए भूमि चयन नहीं होती, संबंधित का पुनर्वास नहीं हो पाएगा।प्रभावित दिनेश लाल, योगेंद्र सिंह, रूप लाल, पूरण लाल, कुलदीप सिंह, सुजान सिंह, जगत सिंह नेगी आदि का कहना है कि शासन, प्रशासन को कई बार अवगत कराने के बाद भी पुनर्वास की कार्रवाई नहीं हो पा रही है। बाल-बच्चों की सुरक्षा के लिए अपने घरों को छोड़कर अन्य मकानों में जीवन यापन करना पड़ रहा है। वहीं उप जिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा का कहना है कि प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए दो स्थानों पर भूमि का चयन किया गया था, जो भू-गर्भीय सर्वेक्षण में मानकों के तहत नहीं पाई गई। अन्य क्षेत्रों में भी भूमि की तलाश की जा रही है।