उत्तराखंड में हरिद्वार से त्रिवेंद्र रावत की बड़ी जीत, बेटे की हार से हरीश रावत को फिर झटका…….
हरिद्वार: हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र के रण में कांग्रेस के युवा चेहरे वीरेंद्र रावत को हराकर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जीत दर्ज की है। त्रिवेंद्र सिंह रावत को 653808 वोट मिले। वहीं, उन्होंने 164056 के अंतर से जीत दर्ज की। उधर, बेटे वीरेंद्र के चुनाव प्रचार के रथ के सारथी रहे हरीश रावत तमाम कोशिशों के बावजूद बेटे को जीत नहीं दिला पाए।
हरिद्वार की देवतुल्य जनता का आभार, हरिद्वार लोक सभा क्षेत्र का चहुंमुखी विकास मेरी प्राथमिकता रहेगी। जो संकल्प लिए गए हैं उसको पूरा करने के लिए मैं कोई कोर कसर नहीं छोडूंगा। – त्रिवेंद्र सिंह रावत
यह जीत प्रभु श्री राम की, भाजपा की, मोदी जी की, मोदी जी के काम की, भारत की जनता जनार्दन की उनके विश्वास की, विकसित भारत के संकल्प की, सम्मानित कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत की: त्रिवेन्द्र
उत्तराखंड की देवतुल्य जनता मोदी जी के साथ, राष्ट्रवाद के साथ, विकसित भारत के संकल्प के साथ, डबल इंजन की सरकार के साथ: त्रिवेन्द्र
उत्तराखंड की हरिद्वार सीट पर भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 653808 मतों से जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व सीएम हरीश रावत के बेटे विरेंद्र रावत को 164056 मतों के अंतर से हराया। वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार ने भी दोनों प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दी
त्रिवेंद्र सिंह रावत का राजनीतिक सफर 1979 में शुरू हुआ था। इसी वर्ष त्रिवेंद्र सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे। 1981 में उन्होंने संघ के प्रचारक के रूप में काम करने का संकल्प लिया। 1985 में त्रिवेंद्र सिंह रावत देहरादून महानगर के प्रचारक बने। इसके बाद 1993 में वे भाजपा के क्षेत्रीय संगठन मंत्री बने। इस दौरान वे पार्टी में अहम भूमिका में रहे। इसके बाद 1997 में त्रिवेंद्र सिंह रावत भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री बने। साल 2002 में वे दोबारा भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री बने।
2002 में उन्होंने डोईवाला विधानसभा से चुनाव लड़ा। उन्होंने विधानसभा चुनाव में डोईवाला सीट से जीत हासिल की थी। 2007 में डोईवाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से उत्तराखंड विधान सभा के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में वे विजयी हुए। भारतीय जनता पार्टी के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बने। 2017 में डोईवाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से उत्तराखंड विधान सभा के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए। इसके बाद 17 मार्च 2017 को उन्हें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई थी। इसके बाद मार्च 2021 में उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।