उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के आरोपियों को प्रमोशन देने की शासन ने की फाइल तैयार ,सीएम धामी के अनुमोदन का इंतज़ार….

देहरादून : उत्तराखंड सरकार ने दो विवादित पीसीएस अफसरों के प्रमोशन को हरी झंडी दे दी है। ये दोनों ऊधमसिंहनगर के चर्चित एनएच-74 जमीन मुआवजा प्रकरण में आरोपी हैं। मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधु की अध्यक्षता में हुई डीपीसी बैठक में दोनों पीसीएस अफसरों को तदर्थ प्रमोशन करने का सिग्नल दे दिया है।

वर्ष 2011 से 2016 तक ऊधमसिंहनगर जिले में एनएच-74 सड़क चौड़ीकरण में अफसरों व काश्तकारों ने मिलीभगत कर कृषि जमीन को अकृषक बता कर करोड़ों रुपये के मुआवजा डकार दिया था। वर्ष 2017 में मामला सामने आने पर त्रिवेंद्र रावत सरकार ने दो आईएएस, सात पीसीएस समेत कई अफसरों को सस्पेंड कर दिया था। इसके अतिरिक्त कई अफसरों व काश्तकारों को जेल भी जाना पड़ा था।

हालांकि, अब सभी अफसर बहाल हो चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि  इस मामले में दो मुख्य आरोपी पीसीएस अफसरों जिनके कार्यकाल में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा हुआ था, सरकार ने अब उन्हें प्रमोशन देने का मन बना लिया है। इन दोनों पीसीएस अफसरों को 5400 से 6600 ग्रेड पे पर तदर्थ रूप में प्रमोशन देने की मंजूरी दे दी गई है। संबंधित फाइल को मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के अनुमोदन के लिए भेज दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व तीरथ सिंह रावत के कार्यकाल में दोनों अफसरों के प्रमोशन देने में झिझक रही।
सूत्रों का कहना है कि दोनों ही अफसरों के खिलाफ हाईकोर्ट में अभी मामला लंबित है।

इसके साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच भी चल रही है। दोनों अफसरों ने कार्मिक विभाग के समक्ष तर्क दिया कि उनके बैच के अफसरों का प्रमोशन वर्ष 2019 में हो चुके हैं, जबकि वे अभी प्रमोशन से वंचित हैं। कार्मिक विभाग के एक वरिष्ठ अफसर ने ऐसे मामलों में किसी भी अफसर को अधिकतम एक वर्ष तक प्रमोशन से रोका जा सकता है। अफसरों के तर्क के आधार दोनों अफसरों को तदर्थ प्रमोशन देने की हरी झंडी दी गई है।

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