2021 का पहला सूर्य ग्रहण आज ग्रहण कितने बजे शुरू होगा और कितने बजे खत्म, देखें।

देहरादून : 2021 साल का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को लगने जा रहा है। पर यह भारत में आंशिक रूप से उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों ही नजर आएगा। सूर्य ग्रहण दोपहर 1.42 बजे से शुरू होकर शाम 6.41 बजे खत्म होगा। इस दौरान चांद पूरी तरह से सूर्य को ढक लेगा। जिसे कंकड़ाकृति सूर्यग्रहण कहते हैं। पर यह दृश्य केवल लद्दाख एवं अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों से ही नजर आएगा। नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेषण एवं शोध संस्थान अपनी वेबसाइट पर सूर्य ग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग करेगा। एरीज के पब्लिक आउटरीच कार्यक्रम प्रभारी डॉ. विरेंद्र यादव के अनुसार यह साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा।

जिसे हिंदी में कंकड़ाकृति ग्रहण भी कहते हैं। दरअसल इस अवस्था में चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है। जिससे सूर्य एक चमकदार चूड़ी के आकार का नजर आता है। पर भारत के अधिकांश हिस्सों से लोग इस नजारे को नहीं देख पाएंगे। उत्तरी ध्रुव के पास अमेरिका, यूरोप, कनाडा सहित यूरोप से यह ग्रहण नजर आएगा। भारत में यह लद्दाख एवं अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों से भी यह कुछ मिनट के लिए दिखेगा। पर आम नागरिक इस ग्रहण को एरीज के पेज पर लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए देख पाएंगे।

चार दिसंबर को दूसरा सूर्य ग्रहण
इस साल केवल दो सूर्यग्रहण होंगे। दूसरा सूर्यग्रहण चार दिसंबर को होगा। इसके अलावा 19 नवंबर को चंद्रग्रहण लगेगा। जो भारत के कुछ हिस्सों से नजर आएगा। एरीज में भी इस ग्रहण को देखने के लिए वैज्ञानिक विशेष तैयारियां करेंगेहरिद्वार के मठ-मंदिर सूर्य ग्रहण में बंद नहीं होंगे।

हरिद्वार। 10 जून को होने वाले सूर्य ग्रहण के दिन हरिद्वार के मठ-मंदिर बंद नहीं होंगे। क्योंकि सूर्य ग्रहण भारत में केवल जम्मू कश्मीर में 15 मिनट के लिए दिखाई देगा। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश पंजाब और हरियाणा आदि में ये दिखाई नहीं देगा। न तो इसका सूतक लगेगा और न मंदिर बंद होंगे।

इसका कोई दोष भी नहीं होगा। भारतीय प्राच विद्या सोसाइटी के पंडित प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को अमावस्या के दिन लग रहा है। इस दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत भी है। यह ग्रहण वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लग रहा है। यह ग्रहण जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों के अलावा भारत में कहीं दिखाई नहीं देगा, इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल यहां मान्य नहीं होगा। इसलिए वट सावित्री व्रत और शनि जयंती पर्व भी मनाए जा सकेंगे।महिलाएं करती हैं

व्रतज्येष्ठ अमावस्या के दिन सभी सुहागन महिलाएं ब्रह्मा की पत्नी सावित्री की प्रसन्नता के लिए व्रत करती हैं और हमेशा सुहागन रहने का वरदान मांगती हैं। 9 जून को इस व्रत को महिलाएं रखेंगी। क्योंकि 10 जून को ग्रहण है। स्कंद पुराण और भविष्य पुराण दोनों के हिसाब से ये व्रत अपने सौभाग्य की वृद्धि के लिए महिलाएं करती हैं। इस दिन ब्रह्मा की पत्नी सावित्री देवी से अपने का सदा सुहागन रखने के लिए महिलाएं वट वृक्ष के नीचे मिट्टी का कलश रखकर उसमें मिट्टी की सावित्री की मूर्ति रखकर सुहाग का सामान रखकर पूजा करती हैं।

अपना सुहाग वट वृक्ष की उम्र की तरह लंबा चलने का वरदान मांगती हैं। ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार इस दिन अमावस्या को चंद्रमा अपनी उच्च राशि पर आता है। जो की लंबी उम्र प्रदान करता है। भारत के कई हिस्सों में यह व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को भी होता है। ये व्रत चतुर्दशी एवं अमावस्या के मिलन के दिन किया जाता है। इस बार ये पर्व 9 जून को आ रहा है।

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