उत्तराखंड सरकार की नई नीति से भड़के देहरादून के व्यापारी, सोमवार को बैठक कर उग्र आंदोलन की कर रहे तैयारी।

देहरादून : देहरादून राज्य सरकार से बाजार खुलने की मांग कर रहे व्यपारियो ने राज्य सरकार की नई कोविड कर्फ़्यू एसओपी का खुलकर विरोध करने के साथ ही राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन करने का निर्णय किया है।

दून उधोग व्यापार मंडल ने कहा है कि एक मंत्री की हिटलरशाही और जिद के आगे सारे प्रदेश के व्यापारियों को सरकार ने हाशिये पर रख दिया है कल व्यापारियों ने सुबह 11 बजे वर्चुल बैठक बुलाकर आंदोलन की रणनीति बनाने का फैसला किया है।

मडंल के मुताबिक पाजिटिविटी रेट भी अन्य प्रदेशों के मुकाबले बहुत कम है ।  जिलों की ना तो योजना बनाई गई ना कंटोनमेंट जोन की स्टडी की है । सरकार का यह निर्णय तानाशाही तो है ही साथ ही माननीय प्रधानमंत्री जी के उस व्यक्तव्य के खिलाफ है जिसमे यह कहा था कि बन्द करना अंतिम विकल्प है । उत्तराखंड सरकार का यह दमनकारी निर्णय व्यापारियों को कतई मंजूर नहीं है।

सम्पूर्ण व्यापारी जगत में सरकार के इस व्यापार विरोधी निर्णय के खिलाफ भारी रोष है।  सरकार छोटे व्यापारी को लुटवाना चाहती है और यह चाहती है कि व्यपारी और उसका स्टाफ राशन के लिए अब भीख मांगनी शुरू कर दें।

व्यपारी दमन नीति के खिलाफ दून उद्योग व्यापार मंडल देहरादून द्वारा उग्र आंदोलन के लिए कल दिनाँक 7 जून 2021 प्रातः 11 बजे सभी संयुक्त व्यापारी संगठनो की एक महत्वपूर्ण वर्चुअल बैठक बुलाई गई है, और पूरे प्रदेश में भाजपा सरकार की व्यापारी दमन नीति, भाजपा सरकार की हिटलरशाही के खिलाफ उग्र आंदोलन का बिगुल फूंकने के लिए विचार विमर्श किया जाना सुनिश्चित हुआ है।

आज प्रदेश सरकार द्वारा कोविड कर्फ्यू को बढ़ाए जाने का कहर केवल व्यापारियो पर  ही पुन: गिरा जिसका दून उद्योग व्यापार मंडल तथा उससे जुड़ी सभी इकाइयों घोर निंदा करती हैं । इस  प्रस्ताव में व्यापारी हितों का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा गया हमारा एक ही प्रश्न और उसका उत्तर भी था कि करोना को व्यापारी ने नहीं फैलाया उसके लिए सभी राजनेता सभी व्यक्ति बराबर के जिम्मेदार रहे है और पिसाई व नुकसान केवल व्यापारी का ही हुआ है। केवल व्यापारी का व्यापार बंद करके वह कंट्रोल में नहीं आएगा व्यापार बंद करने से व्यापारी खत्म हो गया और अपनी पूँजी खा कर सरकार और करोना से लड़ रहा है।

अगर सरकार ने सोमवार शाम तक कोई निर्णय व्यापारी हित मे नहीं लिया तो हमारा व्यापारी स्वतंत्र होगा अपने हितों की रक्षा में निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगा।

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