जब अपने परिचित का दुख सुना तो तब मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी माना है सरकारी अस्पताल में कोई देखने-सुनने वाला नहीं।

उत्तराखंड की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बारे में यहां लोग परिचित हैं मुख्यमंत्री ने बयां की हकीकत: अपने परिचित को एम्स में किया भर्ती, सरकारी अस्पताल में कोई देखने-सुनने वाला नहीं।

हरिद्वार: प्रदेश में कोरोना कहर बरपा रहा है. आए दिन कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. सूबे के मुख्यमंत्री भी मान रहे हैं कि उत्तराखंड में हॉस्पिटलों में भर्ती होने वाले कोरोना मरीजों की देखभाल भी सही से नहीं हो रही है. खुद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस बात को हरिद्वार के बेस हॉस्पिटल के उद्घाटन के मौके पर कहा।

कोरोना काल में जब सूबे के मुख्यमंत्री ही लाचार होकर प्रदेश के हॉस्पिटलों की अव्यवस्थाओं को स्वीकार कर लें तो सवाल उठने लाजमी हैं. जबकि प्रदेश में स्वास्थ्य महकमा खुद सीएम के पास है. जिन कंधों पर स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी है, वही व्यवस्थाओं की पोल खोल रहे हैं, तो बड़ा सवाल खड़ा हो जाता है।

गौर हो कि हरिद्वार में कुंभ मेले के लिए बनाए गए बेस अस्पताल को कोरोना अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है. इस अस्पताल का संचालन पतंजलि योगपीठ द्वारा किया जाएगा. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. उत्तराखंड की स्वास्थ्य सुविधाओं की जिम्मेदारी जिस के कंधों पर है वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल खड़े कर दे तो सवाल उठने लाजमी हैं।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने हरिद्वार बेस हॉस्पिटल के उद्घाटन के मौके पर कहा कि मेरे पास किसी परिचित का फोन आया. मैं उनका नाम नहीं बताऊंगा. उनके द्वारा कहा गया कि वह कोरोना पॉजिटिव होकर हॉस्पिटल में भर्ती हुए हैं. मगर उनकी देखरेख करने वाला वहां पर कोई नहीं है. सुबह उनको नाश्ता दिया जा रहा है. मगर उनको पता ही नहीं है कि कौन उन्हें नाश्ता देने आ रहा है. साथ ही उन्हें इतना भी नहीं पता कि वहां पर कौन डॉक्टर है कौन नर्स है

मुख्यमंत्री का कहना है कि इसी तरह के डिप्रेशन में कई लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं. मुख्यमंत्री का कहना है जब उनके द्वारा मुझे इस बारे में बताया गया तो मैंने उन्हें खुद एम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया. उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधा की क्या हालात है, इससे हर कोई वाकिफ है. मगर कोरोना महामारी में उत्तराखंड के हॉस्पिटलों में कोरोना के मरीजों को सही सुविधा नहीं मिल पा रही है. इससे कई लोग अपनी जान भी गंवा रहे हैं. इस बात को खुद सूबे के मुख्यमंत्री भी स्वीकार कर रहे हैं।

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