उत्तराखंड के 18 सीनियर PCS बनेंगे IAS, उत्तराखंड शासन के मठाधीश अधिकारियों को पड़ी सुप्रीम फटकार, कहा 1 महीने में बनाओ IAS…..

देहरादून : उत्तराखंड राज्य के सबसे पहले बैच के पीसीएस अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट ने सबसे बड़ी राहत दी है जहां जिन्हें कुछ सालों पहले ही आईएएस कैडर मिल जाना चाहिए था उन्हें शासन के कुछ अधिकारियों के चलते अभी तक आईएएस कैडर नहीं मिला है ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट ने इन अफसरों के आईएएस में प्रमोशन में रोड़े अटकाने वाली लाबी को सुप्रीम कोर्ट फटकार मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि पहले वरिष्ठता सूची जारी करें और उसके बाद डीपीसी कर आईएएस बनाएं।

2002 के राज्य प्रशासनिक सेवा के 18 अफसर लंबे समय से प्रमोशन की जंग लड़ रहे हैं। इन्हीं के बैच के पीपीएस अफसर पदोन्नति पाकर IPS बन जिलों में कप्तानी भी कर चुके हैं और कई इस समय भी कर रहे हैं। लेकिन इसी बैच के पीसीएस अफसरों के आईएएस में पदोन्नति में एक लाबी लंबे समय से रोड़े अटका रही थी। ये अफसर सुप्रीम कोर्ट से भी जीत गए थे। लेकिन सरकारों की चहेती लाबी ने इन्हें प्रमोट नहीं किया।

इसके बाद पीसीएस अफसर विनोद गिरि गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति जस्टिस एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति जस्टिस बीआर गवई की खंडपीठ ने आज मंगलवार को इसका निस्तारण किया। खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिया है कि पहले इनकी वरिष्ठता सूची जारी की जाए और एक माह के अंदर डीपीसी कराकर पात्र लोगों को आईएएस में पदोन्नति दी जाए।

यहां बता दें कि 2002 के बैच में 18 पीसीएस अफसर ललित रयाल, आनंद श्रीवास्तव, हरीश कांडपाल, गिरधारी रावत, मेहरबान सिंह बिष्ट, आलोक पांडे, बंशीधर तिवारी, रुचि रयाल, झरना कमठान, दीप्ति सिंह, रवनीत चीमा, प्रकाश चंद, निधि यादव, प्रशांत, आशीष भटगई, विनोद गिरि गोस्वामी, संजय और नवनीत पांडे शामिल है। सूत्रों का कहना है कि कैडर कोटे के अनुसार इनमें से वरिष्ठता के आधार पर 14 अफसर आईएएस बन जाएंगे और शेष चार पद रिक्त होने पर प्रमोशन किया जाएगा। बताया जा रहा है कि इन पीसीएस अफसरों को प्रमोशन होने पर आईएएस में 2015 बैच आवंटित किया जाएगा। इस लिहाज से ये सभी अफसर जिलाधिकारी के रूप में तैनाती पाने के अधिकृत होंगे।

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