मदन कौशिक को लेकर अभी तक प्रमोशन या डिमोशन की चर्चा,लेकिन यदि यह हुआ तो एक नई राह भी खोल देंगे पूर्व मंत्री…
पूर्व कैबिनेट मंत्री और प्रदेश सरकार के प्रवक्ता रहे मदन कौशिक को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बने कई रोज हो गए हैं और उन्होंने अपना पदभार संभालने के साथ ही पहाड़ी टोपी धारण कर एक तरह से संकेत भी दे दिए हैं कि वह प्रदेश की राजनीति को भाजपा के पक्ष में साधने में अपनी पूरी ऊर्जा लगाएंगे। इसके साथ ही कल हरिद्वार की राजनीति में अपने धुर विरोधी माने जाने वाले नए राज्यमंत्री बने स्वामी यतीश्वरानन्द के साथ नजर आकर उन्होंने हरिद्वार की राजनीति में अपना पैर जमाये रखने की बाबत भी संकेत दे दिया है।
जहां तक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मदन कौशिक की बात है तो यह सवाल 2022 के विधानसभा चुनाव तक लगातार अपना जवाब मांगता रहेगा कि संगठन की मजबूती में मदन कौशिक को पूरे राज्य से कितना सहयोग मिला?खैर यह सवाल और यह एंगल उसी समय चर्चा के लिहाज से महत्वपूर्ण होगा,लेकिन यदि अबकी बात करें तो अभी तक मदन कौशिक के विरोधी हों या चाहे अनेक समर्थक,सबकी जुबान पर कहीं न कहीं एक ही बात है कि मंत्री पद से हटाकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने के रूप में मदन कौशिक का प्रमोशन हुआ है या डिमोशन?
यह भी सच है कि मदन कौशिक के विरोधी इस मसले पर डिमोशन की बात ज्यादा कर रहे हैं तो बड़ी तादाद में उनके ऐसे भी समर्थक हैं जो इसे प्रमोशन ही नही बल्कि आगामी समय में और ज्यादा बड़ा राजनीतिक प्रमोशन होने के जरिये के रूप में देखते हैं। खुलासा न्यूज़ की इस खबर में उपरोक्त बिंदु के साथ ही इससे जुड़े कई अन्य अहम बिन्दुओं पर चर्चा करते हैं।
इसमें कोई दो राय नही कि प्रदेश में हमेशा भाजपा सरकार रहते मदन कौशिक कद्दावर मंत्री के रूप में सरकार में शामिल रहे। त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में प्रदेश ही नही हरिद्वार की राजनीति के लिहाज से मदन कौशिक की “बांधी-बंधी और खोली-खुली” वाली कहावत जैसी स्थिति रही। ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार के पतन के बाद नए मुख्यमंत्री समेत पूरी कैबिनेट नई बनने के साथ ही एकदम से मदन कौशिक को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो शायद एक बार को खुद मदन कौशिक को भी अजीब लगा होगा।
इससे भी ज्यादा अजब स्थिति यह लगी कि मंत्री के लिहाज से मदन को पूरी तरह पैदल कर हरिद्वार की राजनीति में उनके धुर विरोधी गिने जाने वाले विधायक स्वामी यतीश्वरानन्द को मंत्री बना दिया गया। यह सब संयोग से हुआ तो ठीक लेकिन यदि यह किसी योजना के तहत हुआ है तो खुद मदन कौशिक को इस बारे में सोचना चाहिए। हालांकि नए समीकरण में मदन कौशिक व स्वामी यतीश्वरानन्द के बीच सुलह हो गयी लगती है।
वैसे यह भी अलग बात है कि मदन कौशिक इस सबसे कहीं ऊपर की सोचते हुए संगठन द्वारा दिये गए दायित्व को निभाने के काम रूपी अपनी धुन में व्यस्त हो गए हैं। ऐसे में भले उनके समर्थक और विरोधी उनके प्रमोशन या डिमोशन की चर्चा पर अटके हो,लेकिन इस सबसे आगे दो बातें साफ नजर आ रही हैं कि यदि 2022 में प्रदेश स्तर पर भाजपा को कोई बड़ा नुकसान हुआ तो मदन कौशिक को भी ठीक ठाक राजनीतिक नुकसान होना तय लगता है
लेकिन यदि चाहे भाजपा ठीक ठाक बहुमत से सरकार बनाने में कामयाब रही तो मैदानी क्षेत्र से मुख्यमंत्री बनने का रास्ता भी मदन कौशिक के बूते उत्तराखंड में खुल जायेगा। इस बात का समर्थन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार तपन सुशील कहते हैं कि लंबे समय से डिप्टी सीएम बनने की चाह रखने वाले मदन कौशिक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद संभालकर जिस तेजी से काम में जुटे हैं उससे लगता है कि उनका विजन साफ है,ऐसे में उनके जरिये भविष्य में मैदानी क्षेत्र से मुख्यमंत्री का रास्ता खुलता है तो यह उत्तराखंड के विकास और साझी संस्क्रति की दृष्टि से अच्छा ही होगा।