Oplus_16908288

उत्तराखंड में 26 जनवरी से समान नागरिक संहिता को लागू करने की तैयारियां पूरी, UCC की नियमावली तैयार, 20 को उत्‍तराखंड कैबिनेट में होगी पेश………

Oplus_16908288

देहरादून: उत्तराखंड में 26 जनवरी से समान नागरिक संहिता को लागू करने की तैयारियां तकरीबन पूरी हो चुकी है। नियमावली के प्रारूप को विधायी विभाग ने मंजूरी प्रदान कर दी है।

इसके आधार पर कार्मिकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो 20 जनवरी तक पूरा हो जाएगा। इसका साफ्टवेयर भी तैयार हो चुका है। 20 जनवरी को ही कैबिनेट की बैठक भी बुलाई गई है, जिसमें इस नियमावली पर मुहर लग जाएगी। इसके साथ ही स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा।

उत्तराखंड में सभी नागरिकों के लिए प्रदेश सरकार समान नागरिक संहिता कानून बना चुकी है। इसे लागू करने के लिए तैयार की गई नियमावली को विधायी ने परीक्षण के बाद स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसी नियमावली के आधार पर प्रदेश के सभी ब्लाक स्तर के कार्मिकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग साफ्टवेयर तैयार कर चुका है। जिसमें पंजीकरण से लेकर शुल्क भुगतान की आनलाइन व्यवस्था की गई है। कार्मिकों को समान नागरिक संहिता की प्रक्रिया को समझाने और इसे लागू करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि इसी माह समान नागरिक संहिता कानून लागू हो जाएगा। यह कानून समय से लागू हो सके, इसके लिए नियमावली को कैबिनेट के सम्मुख प्रस्तुत किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो 20 जनवरी को होने वाली कैबिनेट की बैठक में समान नागरिक संहिता को लेकर मुख्य रूप से चर्चा होगी। साथ ही कुछ अन्य बिंदुओं पर भी विचार-विमर्श कर निर्णय किया जाएगा।

सूत्रों की मानें तो 20 जनवरी को केवल नियमावली के प्रविधानों पर चर्चा की जाएगी। पूर्व में प्रस्तावित शुल्क बहुत अधिक था, ऐसे में इस पर अलग से निर्णय लिया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया जा सकता है।

प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड सामान्य भविष्य निधि संशोधन नियमावली, 2025 की अधिसूचना जारी कर दी। संशोधित नियमावली के अनुसार वित्तीय वर्ष में जमा किया गया बकाया अंशदान और वसूल किए गए ब्याज की राशि सहित पांच लाख रुपये से अधिक अभिदान की राशि नहीं होगी।

अधिकतम सीमा होते ही वेतन में से अभिदान की कटौती बंद की जाएगी। इस मामले में न्यूनतम अभिदान की सीमा को ही शिथिल समझा जाएगा। वित्त सचिव दिलीप जावलकर की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया कि वर्ष के दौरान एक बार ही अभिदान की राशि को कम किया जा सकता है, लेकिन उसे इस दौरान दो बार बढ़ाया जा सकता है।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *