उत्तराखंड में विधानसभा मे आई कैग की रिपोर्ट मे खुलासे के बाद अब राज्य सरकार का आया स्पष्टीकरण कही ये बात……

देहरादून: भारत के नियंत्रक, महालेखापरीक्षक का राज्य के वित्त पर लेखा परीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च, 2022 को समाप्त हुए वर्ष के लिए” दिनांक 06 सितम्बर, 2023 को विधान सभा में रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी।

दिनांक 07 सितम्बर, 2023 के कुछ दैनिक समाचार पत्रों में इस प्रतिवेदन पर समाचार प्रकाशित किये गये हैं। हिन्दुस्तान की खबर:- कैग रिपोर्ट: मंजूरी के बिना खर्च हुआ 47,758 करोड़ का बजट” तथा

अमर उजाला की खबर:- “कैग की रिपोर्ट में खुलासा, सरकार ने विधान सभा में नियमित कराए बगैर खर्च दिए 47,758 करोड़ का संज्ञान लेते हुए निम्नवत स्थिति स्पष्ट की जाती है।

महालेखाकार की रिपोर्ट में अंकित है कि विधायी स्वीकृति के बिना वर्ष 2005-06 से 2020-21 तक की अवधि से सम्बन्धित व्ययाधिक्य की धनराशि रू0 47,758.16 करोड़ को राज्य विधान मण्डल द्वारा विनियमित किया जाना बाकी है।”

प्रश्नगत धनराशि मुख्यतः अर्थोपाय अग्रिम (डब्ल्यू0एम0ए0 ) तथा खाद्य एवं कृषि विभाग की पूंजीगत मदों से संबंधित है।

अर्थोपाय अग्रिम (डब्ल्यू0एम0ए0) भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा राज्य / केन्द्र को कैश फ्लो को निर्बाध रूप से बनाए रखे जाने हेतु दी जाने वाली अल्पकालिक सुविधा है। इस सुविधा के अन्तर्गत संचित निधि से व्यय अधिक होने पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अस्थाई रूप से राज्य को कम पड़ रही धनराशि अर्थोपाय अग्रिम के रूप में दी जाती है। अर्थोपाय अग्रिम की यह धनराशि को आगामी दिवसों में राज्य की संचित निधि में जमा होने वाली निधि से समायोजित कर दिया जाता है।

प्रश्नगत रू0 47758.16 करोड़ के व्ययाधिक्य में अर्थोपाय अग्रिम के सापेक्ष रू0 27814. 23 करोड़ की धनराशि अंकित है जो कुल धनराशि का लगभग 58.24 प्रतिशत है। अवगत कराना है कि महालेखाकार द्वारा यह गणना अर्थोपाय अग्रिम के रूप में ली गयी धनराशि के प्रत्येक अवसर के योग पर आधारित है। इसमें समायोजन का संज्ञान नहीं लिया गया है।

परम्परागत रूप से उत्तराखण्ड राज्य बजट साहित्य में अर्थोपाय हेतु नेट आधार पर प्रावधान करता आया है। आशय यह है कि अर्थोपाय अग्रिम के रूप में ली गयी धनराशि के समायोजन उपरान्त बजट प्रावधान किया जाता था। महालेखाकार द्वारा इंगित किये जाने पर वर्ष 2021-22 से बजट साहित्य में अर्थोपाय का प्रावधान सकल आधार पर किया जाने लगा है। दिनांक 06 सितम्बर, 2023 में प्रस्तुत अनुपूरक बजट में भी इस हेतु रू0 4500.00 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

स्पष्टतः अर्थोपाय के सापेक्ष इंगित व्ययाधिक्य “एकाउंटिंग कन्वेंशन” से सम्बन्धित है। महालेखाकार द्वारा सकल आधार पर गणना की गयी है जबकि राज्य सरकार द्वारा निवल आधार पर बजट प्रावधान किया जाता रहा है जो अब महालेखाकार के परामर्श के अनुरूप किया जाने लगा है।

प्रश्नगत रू0 47758.16 करोड़ के व्ययाधिक्य में खाद्य पूंजीगत मद में रू० 18803.23 करोड़ की धनराशि अंकित है जो कुल धनराशि का लगभग 39.37 प्रतिशत है। पुनःश्च यह भी “एकाउंटिंग कन्वेंशन” से सम्बन्धित है। महालेखाकार द्वारा सकल आधार पर गणना की गयी है जबकि राज्य सरकार द्वारा निवल आधार पर बजट प्रावधान किया जाता रहा है जो अब महालेखाकार के परामर्श के अनुरूप किया जाने लगा है।

प्रश्नगत रू0 47758.16 करोड़ के व्ययाधिक्य में कृषि एवं उद्यान की पूंजीगत मद में रू0 185.26 करोड़ की धनराशि अंकित है जो कुल धनराशि का लगभग 0.38 प्रतिशत है। पुनःश्च, यह भी “एकाउंटिंग कन्वेंशन” से सम्बन्धित है। महालेखाकार द्वारा सकल आधार पर गणना की गयी है जबकि राज्य सरकार द्वारा निवल आधार पर बजट प्रावधान किया जाता रहा है जो अब महालेखाकार के परामर्श के अनुरूप किया जाने लगा है।

प्रश्नगत रू0 47758.16 करोड़ के व्ययाधिक्य में अन्य विभागों से सम्बन्धित रू0 955.96 करोड़ की धनराशि अंकित है जो कुल धनराशि का लगभग 2.00 प्रतिशत है। इस सम्बन्ध में यह अवगत कराना है कि यह मुख्यतः लेखों के मिलान से सम्बन्धित है। लेखा मिलान विभाग व महालेखाकार कार्यालय के मध्य होता है । कतिपय विभाग जैसे शिक्षा, चिकित्सा एवं पुलिस विभाग में महालेखाकार द्वारा कुछ वर्षों में व्यय भारित मदों में प्रदर्शित किया गया है जबकि सम्बन्धित विभाग द्वारा इस आधार पर खंडन किया जाता रहा है कि उनके विभाग में भारित मद के सापेक्ष व्यय नहीं हुआ है। इस सम्बन्ध में विभागों को स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं कि महालेखाकार के आंकड़ों से मिलान करते रहें ताकि इस तरह की विसंगतियां उत्पन्न न हों।

अन्य राज्यों में भी महालेखाकार द्वारा इस प्रकार की विसंगतियां प्रकाश में लाई गयी हैं। प्रश्नगत विसंगति का विनियमितीकरण विधान सभा / पी०ए०सी० द्वारा किया जाता है।

स्वयं महालेखाकार द्वारा इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2021-22 में इस प्रकार की कोई विसंगति प्रकाश में नहीं आई है।

स्पष्टतः यह मुख्यतः “एकाउंटिंग कन्वेंशन” तथा लेखों के मिलान से सम्बन्धित प्रकरण है। राज्य सरकार विधान सभा द्वारा पारित बजट की सीमा के अन्तर्गत ही व्यय करती है। कोषागार (आई०एफ०एम०एस० ) से बजट प्रावधान से अधिक धनराशि आहरित नहीं हो सकती।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *